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चीनी शोधकर्ताओं ने कोरोना वायरस की तरह का ही एक नया वायरस ढूंढा है। नियोकोव नाम का यह वायरस दक्षिण अफ्रीका में चमगादड़ों के बीच फैलता है। लेकिन वैज्ञानिकों ने कहा है कि भविष्य में यह मनुष्यों के लिए ख़तरा पैदा कर सकता है। यह ख़तरा कैसे पैदा कर सकता है, यह जानने से पहले यह जान लीजिये कि इस मामले में डब्ल्यूएचओ यानी विश्व स्वास्थ्य संगठन का क्या कहना है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने आज कहा है कि चीनी वैज्ञानिकों द्वारा खोजे गए नियोकोव कोरोना वायरस पर और अध्ययन की ज़रूरत है। डब्ल्यूएचओ ने कहा कि वह इस नये मामले से अवगत है, लेकिन यह पता लगाने के लिए और अध्ययन की आवश्यकता है कि क्या यह वायरस मनुष्यों के लिए ख़तरा है।
रूसी समाचार एजेंसी TASS ने रूस की स्वास्थ्य एजेंसी के हवाले से कहा है कि अध्ययन में पाया गया वायरस मनुष्यों के लिए जोखिम पैदा करेगा या नहीं, इसके लिए आगे के अध्ययन की ज़रूरत होगी। एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार, हालाँकि डब्ल्यूएचओ ने कहा है कि मनुष्यों में 75% संक्रामक रोगों का स्रोत जंगली जानवर रहे हैं। इसने कहा, 'कोरोना वायरस अक्सर जानवरों में पाए जाते हैं, जिनमें चमगादड़ भी शामिल हैं।'
शोध को प्रकाशित किए जाने से पहले का अभी भी काफी काम किया जाना बाक़ी है लेकिन अब तक किए गए अध्ययन से पता चलता है कि नियोकोव मध्य पूर्व श्वसन सिंड्रोम यानी मर्स (MERS) से निकटता से जुड़ा है। मर्स एक वायरल बीमारी है जिसे पहली बार 2012 में सऊदी अरब में पहचाना गया था।
कोरोना वायरस वायरस का एक ऐसा बड़ा परिवार है जो सामान्य सर्दी जुकाम से लेकर SARS के रूप में गंभीर बीमारियाँ पैदा कर सकता है।
चाइनीज एकेडमी ऑफ साइंसेज और वुहान यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने नोट किया कि नियोकोव दक्षिण अफ्रीका में चमगादड़ों की आबादी में पाया जाता है और इन जानवरों के बीच विशेष रूप से फैलता है।
डब्ल्यूएचओ ने चीनी शोधकर्ताओं को अपने शोध को प्रीप्रिंट में साझा करने के लिए धन्यवाद दिया है।
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