श्रीलंका में हालात इस कदर ख़राब हो गए हैं कि मुल्क में हर दिन 10 घंटे के पावर कट लग रहे हैं। सीधे शब्दों में इसका मतलब यह है कि लोगों को 1 दिन में 10 घंटे तक अंधेरे में रहना पड़ रहा है। ईंधन की भारी कमी के कारण बिजली नहीं बन पा रही है।
श्रीलंका का विद्युत बोर्ड हर दिन 10 घंटे का पावरकट लगा रहा है। जबकि इस महीने की शुरुआत में इसका वक्त 7 घंटे का था। बोर्ड का कहना है कि ऐसा इस वजह से किया जा रहा है क्योंकि थर्मल जेनरेटर को चलाने के लिए तेल नहीं है।
लगातार खराब होते हालात के बीच श्रीलंका में आपातकाल घोषित कर दिया गया है। राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे ने आपातकाल लगाने की घोषणा की है। कोलंबो में लोगों को सड़कों पर उतरना पड़ा था।
विदेशी मुद्रा का अकाल
श्रीलंका में कुल बिजली उत्पादन का 40% से ज्यादा पानी से होता है लेकिन अधिकतर जलाशयों में पानी बेहद कम है क्योंकि बारिश नहीं हुई है। बिजली उत्पादन के लिए श्रीलंका कोयले और तेल पर भी निर्भर है। इन दोनों ही चीजों का श्रीलंका आयात करता है लेकिन वहां की हुकूमत के पास विदेशी मुद्रा इतनी नहीं बची है कि वह इनकी आपूर्ति के लिए भुगतान कर सके।
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ऐसे लोग तभी पेट्रोल पंपों पर लौटेंगे जब दूसरे देशों से ईंधन की सप्लाई होगी और वह श्रीलंका के पेट्रोल पंप तक पहुंच पाएगा। इस साल अब तक पेट्रोल की कीमतों में 92 फ़ीसदी और डीजल की कीमतों में 76 फ़ीसदी का इज़ाफ़ा हो चुका है।
सबसे ख़राब दौर
श्रीलंका की हुकूमत ने मार्च 2020 में विदेशी पैसे को बचाने के लिए आयात पर बैन लगा दिया था। लेकिन इस वजह से जरूरी सामानों की जबरदस्त किल्लत हो गई और कीमतें भी बेतहाशा बढ़ गई। 1948 में आजाद हुआ यह मुल्क अपनी आजादी के बाद सबसे ख़राब दौर को देख रहा है।
न्यूज़ एजेंसी एएफ़पी के मुताबिक कई हॉस्पिटलों में सर्जरी को रोकना पड़ा है।
3 गुना बढ़ा खर्च
लोगों के घर का खर्च 3 गुना तक बढ़ गया है और दूध का पाउडर, चावल, दाल के लिए भी उन्हें बहुत संघर्ष करना पड़ रहा है। दवाएं या तो बहुत महंगी हो गई हैं या मिल ही नहीं रही हैं। लोगों के पास खाने-पीने के लिए सामान नहीं है और इस वजह से वे बहुत गुस्से में हैं।
लगातार ख़राब हालात को देखते हुए श्रीलंका के वित्त मंत्री जल्द ही वर्ल्ड बैंक और आईएमएफ के प्रमुखों से मिलने जा रहे हैं। भारत सरकार ने 17 मार्च को श्रीलंका को 1 अरब डॉलर की सहायता दी थी।
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