श्रीलंका में बने बेहद खराब हालात के बीच सबसे अहम सवाल यही है कि इस पड़ोसी मुल्क की कयादत अब किस नेता के हाथ में होगी। गोटाबाया राजपक्षे मुल्क छोड़कर भाग चुके हैं। प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे के खिलाफ श्रीलंका के लोगों में आक्रोश है और उन्होंने प्रधानमंत्री के दफ्तर पर कब्जा कर लिया है।
ऐसे में श्रीलंका का नेतृत्व किस नेता के हाथों में हो, जिससे इस मुल्क में विरोध प्रदर्शन खत्म हों और सामान्य जनजीवन बहाल हो सके।
ऐसे नेताओं में सबसे बड़ा नाम सामने आता है साजिथ प्रेमदासा का। साजिथ प्रेमदासा की पार्टी का नाम समागी जाना बालवेगाया (एसजेबी) है और उसके गठबंधन के पास 53 सांसद हैं।
अगर वह राजपक्षे की पार्टी से टूटकर आए 43 निर्दलीय सांसदों, तमिल नेशनल एलाइंस के 10 सांसदों और जेवीबी के 3 सांसदों का समर्थन हासिल कर लेते हैं तो वह इस मुल्क के राष्ट्रपति बनने के करीब पहुंच जाएंगे।
क्रॉस वोटिंग की संभावना
राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव 20 जुलाई को होगा। यह चुनाव सीक्रेट बैलेट के जरिए होगा और इसमें कोई भी राजनीतिक दल अपने सांसदों के लिए व्हिप जारी नहीं कर सकता। ऐसे में यह अनुमान है कि राष्ट्रपति के चुनाव में बड़े पैमाने पर क्रॉस वोटिंग हो सकती है।
113 सांसदों के समर्थन की जरूरत
साजिथ प्रेमदासा को उनकी पार्टी ने राष्ट्रपति पद के लिए सर्वसम्मति से अपना उम्मीदवार चुना है। राष्ट्रपति का चुनाव जीतने के लिए संसद में 113 सांसदों के समर्थन की जरूरत है। प्रेमदासा कह चुके हैं कि वह श्रीलंका को बचाने के लिए और अपने मुल्क की इकनॉमी को खड़ा करने के लिए तैयार हैं। श्रीलंका में जो ताजा सियासी हालात दिखाई दे रहे हैं इसमें प्रेमदासा के नेतृत्व में एक सर्वदलीय सरकार बन सकती है।प्रेमदासा ने एक इंटरव्यू में कहा था कि वह गोटाबाया राजपक्षे के इस्तीफा देने के बाद ही राष्ट्रपति के उम्मीदवार की दौड़ में शामिल होंगे।
विरासत में मिली राजनीति
प्रेमदासा के पिता का नाम रणसिंघे प्रेमदासा था और वह 1978 से 1988 तक श्रीलंका के प्रधानमंत्री रहे थे और 1989 से 1993 तक यहां के राष्ट्रपति भी रहे। रणसिंघे की एलटीटीई के विद्रोहियों ने 1 मई 1993 को हत्या कर दी थी।
प्रेमदासा राजनीतिक परिवार से आते हैं और वह कम उम्र में ही राजनीति में आ गए थे। वह साल 2000 में हंबनटोटा क्षेत्र से रानिल विक्रमसिंघे की यूनाइटेड नेशनल पार्टी के टिकट पर सांसद बने थे। बीते कई सालों में वह सरकारों में अहम पदों पर रहे हैं और श्रीलंका में सभी को साथ लेकर चलने की बात करते हैं। वह नस्लवाद और अल्पसंख्यकों के अलगाववाद के खिलाफ भी आवाज उठाते रहे हैं।
एक बार उन्होंने यह भी कहा था कि किसी भी देश के सामने सुरक्षा की बड़ी चुनौती अल्पसंख्यकों के अलगाव की वजह से आती है। इस वजह से उन्हें तमिल सांसदों का समर्थन मिल सकता है।
साजिथ प्रेमदासा श्रीलंका के अकेले ऐसे नेता हैं जिन पर सरकारों में रहते हुए भी कभी कोई दाग नहीं लगा। वह अपने मजबूत फैसलों के लिए जाने जाते हैं। प्रेमदासा श्रीलंका के उन नेताओं में से एक हैं जिन्होंने राष्ट्रपति की शासन प्रणाली को खत्म करने का आह्वान किया था।
निश्चित रूप से कई महीनों से लंबे पावर कट, दवाइयों, खाने पेट्रोल-डीजल सहित जरूरी चीजों की कमी से जूझ रहे श्रीलंका के लोगों को एक ऐसे नेतृत्व की जरूरत है जो उन्हें जल्द से जल्द मुसीबतों से राहत दिला सके।
देखना होगा कि प्रेमदासा राष्ट्रपति का चुनाव जीतने के लिए आवश्यक सांसदों का समर्थन जुटा पाते हैं या नहीं। लेकिन श्रीलंका के मौजूदा हालात में वही एक ऐसे नेता दिखाई देते हैं जो मुल्क़ को इस भयावह हालात से बाहर निकाल सकते हैं।
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