तुर्की के राष्ट्रपति रचप तैयप अर्दवान ख़ुद को पूरी दुनिया के मुसलमानों के ख़लीफ़ा के रूप में स्थापित करना चाहते हैं ताकि दुनिया भर के मुसलमानों पर उनका ही सिक्का चले और मुसलमानों के सामाजिक-धार्मिक मामलों में उनकी ओर से जारी निर्देश या मार्गदर्शन को पूरी दुनिया के मुसलमान मानें। उनकी रणनीति है मुसलिम बहुल देशों का एक संगठन यानी कॉनफ़ेडरेट बनाना, जिसके वह सर्वेसर्वा हों। इस कॉनफ़ेडरेट की राजधानी या मुख्यालय तुर्की का शहर इस्तांबुल हो। बीते सौ सालों में मुसलमानों के बीच ख़िलाफ़त की स्थापना की यह तीसरी कोशिश है।
दुनिया भर के मुसलमानों का खलीफ़ा बनना चाहते हैं तुर्की के राष्ट्रपति अर्दवान?
- दुनिया
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- 28 Aug, 2020

अमेरिका के बढ़ते प्रभाव, मुसलिम बहुल देशों पर उसका दबदबा, उन देशों में अमेरिकी सैनिकों की मौजूदगी और पश्चिमी प्रभावों ने मुसलमानों के मन में एक तरह की अनश्चितता को बढ़ावा दिया। आतंकवाद को कुचलने के नाम पर जो ज़्यादतियाँ की गईं, उससे मुसलमानों के मन की बेचैनी बढ़ती गई। इसका नतीजा यह हुआ कि इक्कीसवीं सदी में एक बार फिर खलीफ़ा की अवधारणा को स्थापित करने की कोशिशें हुईं।