1947 में भारत से ही टूटकर बने पड़ोसी देश पाकिस्तान के साथ हमारे रिश्ते बेहतर हों, इसके लिए बीते 70 साल में कई दफ़ा कोशिशें हुई हैं। कई बार ये कोशिशें परवान भी चढ़ीं तो कई बार दोनों मुल्कों के दरमियान रिश्ते बेहद ख़राब भी हुए। 1999 में अटल बिहारी वाजपेयी जब बस में बैठकर लाहौर गए तो यह दोनों देशों के बीच रिश्ते सुधारने की एक पहल थी लेकिन कारगिल के वाकये ने फिर से तनाव को जिंदा कर दिया था।
तब से अब तक काफ़ी वक़्त गुजर चुका है और दोनों मुल्क़ों के बीच कई सरकारें आ-जा चुकी हैं। कश्मीर से धारा 370 हटने और पुलवामा हमले के बाद से दोनों देशों के रिश्तों में बर्फ जमी हुई थी। लेकिन अब ऐसा लग रहा है कि ये बर्फ पिघल रही है। इसका साफ संकेत दोनों मुल्कों की ओर से मिला है।
पाकिस्तान के वज़ीर-ए-आज़म और आर्मी चीफ़ क़मर जावेद बाजवा ने दोनों देशों के बीच अच्छे संबंधों की हिमायत की है। हालांकि दोनों ने ही इसके लिए कश्मीर के मुद्दे को अहमियत दी है लेकिन फिर भी बाजवा ने जो बात कही, वह महत्वपूर्ण है।
बाजवा ने गुरूवार को इसलामाबाद में आयोजित एक कार्यक्रम में कहा कि दोनों देशों के लिए यह वह वक़्त है जब हमें पुरानी बातों को दफ़न कर आगे बढ़ना चाहिए। इससे पहले इमरान ने भी कहा था कि उनका मुल्क़ भारत से बेहतर संबंध बनाने की कोशिश कर रहा है लेकिन पहल भारत को ही करनी होगी।
बाजवा इमरान के सबसे भरोसेमंद और क़रीबी शख़्स हैं। इमरान ने ही आर्मी चीफ़ के रूप में बाजवा का कार्यकाल बढ़ाया था और आज इमरान सत्ता में हैं तो इसका बड़ा क्रेडिट बाजवा को ही दिया जाता है। ऐसे में बाजवा का यह बयान दोनों देशों के रिश्तों के लिए और भी अहम हो जाता है।
बाजवा ने पिछले महीने भी कहा था कि शांति बहाली के लिए सभी दिशाओं में हाथ आगे बढ़ाने की ज़रूरत है। पिछले ही महीने भारत ने इमरान ख़ान के विशेष विमान को भारत के एयरस्पेस का इस्तेमाल करने की इजाजत दे दी थी और जम्मू-कश्मीर की सीमाओं पर सीज़ फ़ायर के उल्लंघन की घटनाएं कम होने लगी थीं।
भारत ने भी पाकिस्तान को कोरोना वैक्सीन की 4.5 करोड़ डोज भेजी हैं। हालांकि यह एक वैश्विक संधि के तहत भेजी गई हैं लेकिन फिर भी पाकिस्तान के लिए यह एक बड़ी मदद है।
भारत और पाकिस्तान, दोनों ही मुल्क़ों में एक-दूसरे के सीरियलों और सिनेमा के चेहरों को काफ़ी पसंद किया जाता रहा है। यू ट्यूब आने के बाद दोनों मुल्क़ों की यंग जेनरेशन काफ़ी करीब आई है।
डोभाल-युसुफ की मुलाक़ात
भारत-पाकिस्तान के बीच बातचीत शुरू हो सकती है, इसका संकेत पिछले महीने तब मिला था जब दोनों देश लाइन ऑफ़ कंट्रोल (एलओसी) पर शांति बहाली और पुराने समझौतों पर अमल करने के लिए राजी हो गए थे। कहा गया था कि इसके पीछे भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल और उनके पाकिस्तानी समकक्ष मोईद यूसुफ़ के बीच हुई लंबी बातचीत है।
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हमारे लिए घर जैसा माहौल
इधर, कई सालों बाद पाकिस्तान की ओर से पांच खिलाड़ियों की एक टीम भारत आई है। ग्रेटर नोएडा आई घुड़सवारों की एक टीम के खिलाड़ियों का कहना है कि उन्हें यहां घर जैसा ही लग रहा है। इरफ़ान महमूद नाम के खिलाड़ी ने टीओआई से कहा, “हम सिर्फ़ बॉर्डर्स के कारण दूर हैं, वरना इस शहर में आकर ऐसा लग रहा है, जैसा लाहौर में लगता है। भाषा, कल्चर और खाना...हम कई बाजारों में गए और हर कोई हमें दोस्त और परिवार जैसा लगा। अगली बार हम जब आएंगे तो ज़्यादा दिन रुकेंगे।” ये लोग अजमेर शरीफ और आगरा भी जाएंगे।
कोरोना वायरस के संक्रमण और इस महामारी को रोकने के लिए लगे लॉकडाउन की वजह से दोनों ही मुल्क़ों की माली हालत बेहद ख़राब हुई है। ऐसे हालात में बॉर्डर पर हालात सामान्य रहेंगे तो दोनों को सुरक्षा व्यवस्था में पैसा बर्बाद नहीं करना होगा और लोगों के मन से एक बोझ भी हटेगा।
ट्रंप के बयान का मतलब
भारत और पाकिस्तान के बीच में सबसे बड़ा मुद्दा कश्मीर ही है। लेकिन ऐसा लगता है कि दोनों देश इस मुद्दे को सुलझाना चाहते हैं। इस बात को तब हवा मिली थी जब 2019 में अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने इमरान ख़ान के साथ एक मुलाक़ात के दौरान कहा था कि प्रधानमंत्री मोदी ने उनसे कश्मीर मामले पर मध्यस्थता करने की गुजारिश की थी।
हालांकि तब भारत ने ट्रंप के इस बयान का जोरदार खंडन किया था और कहा था कि कश्मीर भारत और पाकिस्तान का द्विपक्षीय मसला है और इसमें तीसरे देश की मध्यस्थता स्वीकार नहीं की जा सकती। ट्रंप ने एक बार और कहा था कि वह इमरान ख़ान और मोदी के बीच मध्यस्थता कराने के लिए तैयार हैं।
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