विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बुधवार को क्रेमलिन में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात की और यूक्रेन में युद्ध सहित कई मुद्दों पर बातचीत की। पुतिन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अगले साल रूस आने का निमंत्रण दिया। पुतिन ने जयशंकर से कहा, "हमें अपने मित्र प्रधान मंत्री मोदी को रूस में देखकर खुशी होगी।"
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अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव का जिक्र करते हुए, रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने हर सफलता' की कामना की और जोर देकर कहा कि नई दिल्ली और मॉस्को के बीच 'पारंपरिक पारंपरिक मैत्रीपूर्ण संबंध' बने रहेंगे, 'भले ही राजनीतिक ताकतों का तालमेल कुछ भी हो।'
रूसी राष्ट्रपति ने कहा कि वह जानते हैं कि पीएम मोदी यूक्रेन संकट को शांतिपूर्वक हल करने के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास करने को तैयार हैं। पुतिन ने कहा कि रूस भारत के साथ यह जानकारी साझा करने को इच्छुक है कि यूक्रेन संकट को शांतिपूर्ण तरीके से कैसे हल किया जा सकता है।
विदेश मंत्री से बैठक के दौरान उन्होंने कहा, "कई बार मैंने उन्हें (पीएम मोदी को) सलाह दी कि वहां (यूक्रेन) चीजें कैसे चल रही हैं और मुझे पता है कि वह पूरी कोशिश करने को तैयार हैं ताकि मुद्दे को शांतिपूर्ण तरीकों से हल किया जा सके। इसलिए अब हम इस पर गहराई से विचार करेंगे और हम करेंगे। आपको हम इस पर अतिरिक्त जानकारी देंगे।''
Honoured to call on President Vladimir Putin this evening. Conveyed the warm greetings of PM @narendramodi and handed over a personal message.
— Dr. S. Jaishankar (@DrSJaishankar) December 27, 2023
Apprised President Putin of my discussions with Ministers Manturov and Lavrov. Appreciated his guidance on the further developments of… pic.twitter.com/iuC944fYHq
जयशंकर ने बुधवार को रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव से भी मुलाकात की।
अपनी बातचीत के बाद लावरोव के साथ मीडिया से बातचीत के दौरान जयशंकर ने कहा कि उन्हें विश्वास है कि पीएम मोदी और पुतिन अगले साल वार्षिक शिखर सम्मेलन के लिए मिलेंगे। इससे पहले अपनी प्रारंभिक टिप्पणी में, जयशंकर ने कहा कि दोनों नेता लगातार संपर्क में रहे हैं।
पीएम मोदी और पुतिन के बीच शिखर सम्मेलन दोनों पक्षों के बीच रणनीतिक साझेदारी में सर्वोच्च स्तर पर बातचीत का माध्यम हैं। अब तक भारत और रूस में बारी-बारी से 21 वार्षिक शिखर सम्मेलन हो चुके हैं। पिछला शिखर सम्मेलन दिसंबर 2021 में दिल्ली में हुआ था।
यूक्रेन पर मास्को के आक्रमण के बावजूद भारत और रूस के बीच संबंध मजबूत बने रहे। भारत ने अभी तक यूक्रेन पर रूसी आक्रमण की निंदा नहीं की है और वह कहता रहा है कि संकट को कूटनीति और बातचीत के माध्यम से हल किया जाना चाहिए। कई पश्चिमी देशों में इसे लेकर बढ़ती बेचैनी के बावजूद भारत का रूसी कच्चे तेल का आयात काफी बढ़ गया है।
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