पाकिस्तान सरकार ने शनिवार को इमरान खान की पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी को बिना शर्त बातचीत करने के लिए आमंत्रित किया और कहा कि बातचीत राजनीतिक प्रक्रिया का हिस्सा है और जटिल समस्याओं का समाधान तब होता है जब दोनों पक्ष एक-दूसरे को सुनते हैं। यह जानकारी डॉन अखबार ने दी है।
आंतरिक मंत्री राणा सनाउल्लाह के साथ एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए रेल मंत्री ख्वाजा शाद रफीक ने कहा कि विपक्षी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी को सरकार के साथ बैठना चाहिए और समय से पहले आम चुनाव कराने पर गतिरोध को हल करने के लिए सरकार के साथ बातचीत करनी चाहिए।
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साथ ही उन्होंने कहा कि धमकी और बातचीत साथ-साथ नहीं चल सकते। हालांकि बातचीत का न्यौता सरकार ने भेजा है लेकिन राणा सनाउल्लाह के इस बयान का क्या अर्थ है, कोई अंदाजा नहीं लगा सकता। क्योंकि बातचीत की पहल सरकार की ओर से हुई है।
प्रधानमंत्री शरीफ के नेतृत्व वाली केंद्रीय सरकार अब चुनाव कराने का विरोध कर रही है। वर्तमान नेशनल असेंबली का कार्यकाल अगस्त 2023 में समाप्त होगा।
पीटीआई प्रमुख इमरान खान ने शुक्रवार को चेतावनी दी थी कि अगर प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के नेतृत्व वाली केंद्रीय सरकार बातचीत के लिए नहीं बैठी और आम चुनाव की तारीखों की घोषणा नहीं की तो वह अपनी पार्टी के शासन वाले पंजाब और खैबर पख्तूनख्वा प्रांतों में विधानसभाओं को भंग कर देंगे।
70 साल के इमरान खान ने पिछले हफ्ते घोषणा की कि उनके विधायक प्रांतीय विधानसभाओं से इस्तीफा दे देंगे। इमरान ने यह कहकर राजधानी इस्लामाबाद जाने वाले मार्च को वापस ले लिया था कि इससे राजधानी में नतीजे अच्छे नहीं होते और वहां अराजकता फैल सकती थी। हालांकि इसे यह माना गया कि इमरान नए आर्मी चीफ को कुछ समय देना चाहते हैं ताकि वो सारे मुद्दों को समझकर फैसला ले सकें।
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हालांकि इस्लामाबाद मार्च वापस लेने का सत्तारूढ़ पार्टी ने इमरान का मजाक उड़ाया लेकिन आर्मी ने इसे समझदारी वाला कदम बताया था। समझा जाता है कि सरकार ने अब जो बातचीत का न्यौता इमरान के पास भेजा है, उसके पीछे भी आर्मी का ही हाथ है। जाहिर है कि इमरान खान इस बुलावे को स्वीकार नहीं करेंगे, क्योंकि वो जल्द चुनाव कराने से कम पर समझौता नहीं करना चाहते। इसी मुद्दे पर मामला फंसेगा। तब तक कुछ वक्त निकल जाएगा और इमरान खान अगले हालात के लिए खुद को और पार्टी को तैयार कर लेंगे।
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