loader
रुझान / नतीजे चुनाव 2024

झारखंड 81 / 81

इंडिया गठबंधन
56
एनडीए
24
अन्य
1

महाराष्ट्र 288 / 288

महायुति
233
एमवीए
49
अन्य
6

चुनाव में दिग्गज

बाबूलाल मरांडी
बीजेपी - धनवार

जीत

हेमंत सोरेन
जेएमएम - बरहेट

जीत

इमरान के लिए एक और बड़ा संकट, अविश्वास प्रस्ताव से कैसे निपटेंगे?

पाकिस्तान में क्या सत्ता बदलेगी? विरोध प्रदर्शन के माध्यम से प्रधानमंत्री इमरान खान को हटाने में विफल रहने के बाद विपक्षी दलों ने अब नेशनल असेंबली में उनके ख़िलाफ़ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया है। इस प्रस्ताव के पक्ष में कई दल सामने आए हैं। यह इमरान ख़ान के लिए कितना बड़ा सिरदर्द है, यह इससे समझा जा सकता है कि उन्होंने विरोधियों पर हमला बोला और इस बीच वह बोल बैठे कि वह आलू टमाटर का भाव जानने के लिए राजनीति में नहीं आए हैं।

बहरहाल, उनके ख़िलाफ़ लाए गए अविश्वास प्रस्ताव पर पूर्व राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी, उनके बेटे बिलावल भुट्टो-जरदारी के नेतृत्व में पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) और पाकिस्तान डेमोक्रेटिक मूवमेंट (पीडीएम) नाम के एक संयुक्त विपक्षी समूह द्वारा हस्ताक्षर किए गए हैं।

ताज़ा ख़बरें

पीडीएम का नेतृत्व जमीयत-ए-उलमा-ए-इसलाम यानी जेयूआई के मौलाना फजलुर रहमान कर रहे हैं और इसमें तीन बार के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की पाकिस्तान मुसलिम लीग (पीएमएल-एन) के साथ-साथ छोटे पश्तून और बलूच राष्ट्रवादी दल भी शामिल हैं। संयुक्त विपक्षी समूह पीडीएम ने मूल रूप से पहले सड़कों पर आंदोलन और संसदीय पैंतरेबाज़ी के ज़रिए इमरान खान को बाहर करने की कोशिश की थी। 

विपक्षी दलों के पूरे देश में बड़े पैमाने पर प्रदर्शन के बाद इमरान ख़ान सरकार पर बड़े ख़तरे का साया था। कई बार तो तख्ता पलट के कयास भी लगाए गए थे। लेकिन सेना ने इमरान का साथ दिया और उस संकट को टाल दिया। माना जाता है कि इमरान ख़ान सेना के समर्थन से ही शीर्ष पद पर काबिज हुए हैं और वह वहाँ बने हुए भी हैं।

वैसे, तो कहा जाता है कि सेना इमरान को कुर्सी पर बनाए रखना चाहती है, लेकिन कुछ महीने पहले ऐसे हालात भी बने थे जिसमें इमरान और सेना आमने सामने आ गए थे। तब मीडिया रिपोर्टों में कहा गया था कि इमरान ख़ान की हुक़ूमत और फ़ौज़ में घमासान छिड़ गया है और इमरान की कुर्सी पर बड़ी मुसीबत आ गयी है।

इमरान ख़ान की हुकूमत और फ़ौज़ के बीच ख़ुफ़िया एजेंसी आईएसआई के चीफ़ की ताजपोशी को लेकर अक्टूबर महीने में जबरदस्त जंग छिड़ गई थी।

टकराव के बाद इमरान ख़ान को पीछे हटना पड़ा था और लेफ़्टिनेंट जनरल नदीम अहमद अंजुम के आईएसआई के नये चीफ़ होने का नोटिफ़िकेशन जारी करना पड़ा था। उन्हें लेफ़्टिनेंट जनरल फ़ैज़ हमीद की जगह पर नियुक्त किया गया था। 

कहा जाता है कि ऐसे मामलों और घटनाक्रमों के बाद भी इमरान और सेना के बीच संबंध घनिष्ठ बने हुए हैं। इसी बीच विपक्षी दल इमरान को अपदस्थ करने के लिए संसदीय रास्ता अपना रहे हैं। लेकिन यह रास्ता भी उतना आसान नहीं है। 

दुनिया से और खबरें

इमरान खान के नेतृत्व वाली सरकार के चार प्रमुख गठबंधन सहयोगियों ने अभी तक उनके ख़िलाफ़ विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव पर अपना रुख तय नहीं किया है। हालाँकि, इनमें से एक ने समर्थन के बदले में सरकार को कथित तौर पर 'ब्लैकमेल' किया है, जिससे सत्तारूढ़ पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ यानी पीटीआई पार्टी की संसद में महत्वपूर्ण मतदान से पहले समस्या बढ़ गई है।

इसी बढ़ी हुई समस्या को इमरान ख़ान के बयान में भी देखा जा सकता है जब वह कहते हैं कि वह आलू और टमाटर के दाम जानने राजनीति में नहीं आए हैं। इमरान ने पंजाब के हाफिजाबाद शहर में एक राजनीतिक रैली में अपने समर्थकों से कहा कि देश को उन लोगों को खिलाफ खड़ा होना चाहिए, जो पैसे के जरिए सांसदों की अंतरात्मा खरीदकर उनकी सरकार गिराने की कोशिश कर रहे हैं। 

ख़ास ख़बरें

इस दौरान इमरान ने कहा, 'पाकिस्तान मेरे कार्यकाल में एक महान देश बनने जा रहा है। मेरी सरकार की तरफ से घोषित किए गए इन्सेन्टिव्स का परिणाम जल्द ही मिलने लगेगा।' क्रिकेटर से राजनेता बने 69 वर्षीय पाकिस्तानी प्रधानमंत्री ने कहा, 25 साल पहले मैंने देश के युवाओं के बेहतर भविष्य के लिए राजनीति से जुड़ने का निर्णय लिया था। मुझे इससे कोई निजी लाभ नहीं हुआ है, क्योंकि मेरे पास पहले से ही जिंदगी में वह सब कुछ था, जिसका एक आदमी सपना देखता है। इस तरह इमरान अपने भाषणों से लोगों को अपने समर्थन में खड़े होने के लिए कह रहे हैं। ऐसा इसलिए कि उन्हें फिर से विपक्षी दलों के आंदोलन जैसे हालात का सामना करना पड़ सकता है, लेकिन इस बार संसद के अंदर। सवाल है कि इमरान ख़ान इस संकट से कैसे निपटते हैं और सेना किस हद तक उनके साथ आता है, काफी कुछ इस पर भी निर्भर करेगा।

सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
अमित कुमार सिंह
सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें

अपनी राय बतायें

दुनिया से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें