ऑक्सफैम ने कहा है कि दुनिया के सबसे अमीर एक प्रतिशत लोगों ने पिछले दस सालों में अपनी संपत्ति में कुल 42 ट्रिलियन डॉलर की बढ़ोतरी की है। इसने कहा कि भले ही दुनिया के अमीर और अमीर होते जा रहे हैं, लेकिन उन पर लगने वाला कर 'ऐतिहासिक रूप से कम हो गया है। यानी पिछले एक दशक में इन अमीरों पर कर इतना कम है जितना पहले कभी नहीं रहा।
ऑक्सफैम ने ब्राजील में जी20 वित्त मंत्रियों और केंद्रीय बैंक गवर्नरों की बैठक से पहले यह रिपोर्ट जारी की है। ऑक्सफैम के शोध के अनुसार पिछले चार दशकों में जी20 देशों में शीर्ष 1% कमाने वालों की आय का हिस्सा 45% बढ़ा है, जबकि उनकी आय पर शीर्ष कर दरों में लगभग एक तिहाई की कटौती की गई है।
ऑक्सफैम ने कहा है कि अरबपतियों की अत्यधिक संपत्ति को कम करने के लिए कम से कम 8% का वार्षिक शुद्ध संपत्ति कर लगाने की ज़रूरत होगी। जी20 देशों में दुनिया के पाँच में से लगभग चार अरबपति रहते हैं।
ऑक्सफैम ने रिपोर्ट में कहा है कि पिछले दशक में शीर्ष 1% लोगों ने अपनी संपत्ति में 42 ट्रिलियन डॉलर की वृद्धि की है, जो वैश्विक आबादी के निचले 50% लोगों की तुलना में 34 गुना अधिक है। ऑक्सफैम ने कहा, 'पिछले दशक में शीर्ष 1% में प्रति व्यक्ति औसत संपत्ति वास्तविक रूप से लगभग 400,000 डॉलर यानी क़रीब 3.35 करोड़ रुपये बढ़ी, जबकि निचले आधे लोगों के लिए यह वृद्धि केवल 335 डॉलर यानी क़रीब 28066 रुपये थी।'
ऑक्सफैम इंटरनेशनल के असमानता नीति प्रमुख मैक्स लॉसन ने कहा, 'असमानता अश्लील स्तर पर पहुंच गई है और अब तक सरकारें लोगों और पृथ्वी को इसके विनाशकारी प्रभावों से बचाने में विफल रही हैं।' उन्होंने कहा, 'मानवता का सबसे अमीर एक प्रतिशत अपनी जेबें भरता रहता है, जबकि बाकी लोग टुकड़ों के लिए तरसते रह जाते हैं।'
भारत में संपत्ति कर को 2015 में समाप्त कर दिया गया था और इसकी जगह 1 करोड़ रुपये से अधिक सालाना आय वालों पर मौजूदा 10% के अतिरिक्त 2% अधिभार लगाया गया था। 2015 तक किसी व्यक्ति, हिंदू अविभाजित परिवार या कंपनी को 30 लाख रुपये से अधिक मूल्य की शुद्ध संपत्ति पर 1% संपत्ति कर के रूप में देना पड़ता था। मिंट की रिपोर्ट के अनुसार वित्तीय वर्ष 2013-14 के लिए कुल संपत्ति कर संग्रह 1,008 करोड़ रुपये था।
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