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निज्जर हत्याकांड: ट्रूडो का आरोप- भारत ने जांच में सहयोग नहीं किया

कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने आरोप लगाया है कि निज्जर हत्याकांड मामले में सबूत साझा करने के बावजूद भारत ने जाँच में सहयोग नहीं किया है। भारत-कनाडा संबंध में ताज़ा तनाव के बीच ट्रूडो ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर भारत पर बड़े आरोप लगाए हैं। ट्रूडो ने ये आरोप तब लगाए जब भारत ने सोमवार को कहा कि बार-बार सबूत मांगे जाने पर भी कनाडाई अधिकारियों ने कोई सबूत साझा नहीं किए हैं।

विदेश मंत्री मेलानी जोली और सार्वजनिक सुरक्षा एवं अंतर-सरकारी मामलों के मंत्री डोमिनिक लेब्लांक के साथ ओटावा में प्रेस को संबोधित करते हुए ट्रूडो ने आरोप लगाया कि इस सप्ताहांत कनाडाई अधिकारियों ने अपने भारतीय समकक्षों के साथ रॉयल कैनेडियन माउंटेड पुलिस यानी आरसीएमपी के साक्ष्य साझा किए। उन्होंने कहा कि इससे यह निष्कर्ष निकला कि भारत सरकार के छह एजेंट आपराधिक गतिविधियों में रुचि रखने वाले व्यक्ति हैं, लेकिन भारत सरकार ने सहयोग नहीं करने का फैसला किया।

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उनके मंत्रियों ने इस बात पर जोर दिया कि कैसे उनके जांचकर्ता फाइव आईज (अमेरिका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा और न्यूजीलैंड का एक खुफिया साझाकरण गठबंधन) के साथ सहयोग कर रहे हैं, ट्रूडो ने भारत के साथ घटनाक्रम पर चर्चा करने के लिए ब्रिटिश प्रधानमंत्री सर कीथ स्टारमर से संपर्क किया।

भारत सरकार ने इन दावों का सोमवार को ही पुरजोर खंडन किया। विदेश मंत्रालय की ओर से जारी बयान में कहा गया, 'भारत सरकार इन बेतुके आरोपों को पुरजोर तरीके से खारिज करती है और इन्हें ट्रूडो सरकार के वोट बैंक की राजनीति पर केंद्रित राजनीतिक एजेंडे का हिस्सा मानती है।'

वैसे, ट्रूडो पिछले साल जून में निज्जर की हत्या के बाद से ही भारत पर गंभीर आरोप लगाते रहे हैं। कनाडा में खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर 2023 में 18 जून को ब्रिटिश कोलंबिया के एक गुरुद्वारे के बाहर मारा गया था। कनाडा के पीएम जस्टिन ट्रूडो ने हत्या में भारतीय एजेंटों की संभावित संलिप्तता के आरोप लगाए थे। इसके बाद दोनों देशों के बीच संबंध ख़राब हो गए थे। भारत ने ट्रूडो के आरोपों को बेतुका और प्रेरित बताकर खारिज कर दिया था। इसके बाद भारत और कनाडा के बीच संबंध गंभीर तनाव में आ गए थे। ई-वीजा सेवाएँ बंद कर दी गई थीं और राजनयिकों की संख्या कम करने तक बात पहुँच गई थी।
हालाँकि, बाद में रिश्ते सुधारने की कोशिश भी हुई। लेकिन अब फिर से निज्जर हत्याकांड के मुद्दे ने जोर पकड़ा है। यह तब हुआ जब पीएम मोदी और जस्टिन ट्रूडो की मुलाक़ात हुई। अब फिर से ट्रूडो प्रेस कॉन्फ्रेंस कर भारत पर बड़ा आरोप लगा रहे हैं।

आरसीएमपी आयुक्त ने दिन में पहले जो कहा था, उसे दोहराते हुए ट्रूडो ने आरोप लगाया, 'उनके पास साफ़ और ठोस सबूत हैं कि भारत सरकार के एजेंट ऐसी गतिविधियों में शामिल रहे हैं और अभी भी शामिल हैं जो सार्वजनिक सुरक्षा के लिए एक बड़ा ख़तरा पैदा करते हैं। इसमें गुप्त सूचना-एकत्रीकरण तकनीक, दक्षिण एशियाई कनाडाई लोगों को निशाना बनाने वाला बलपूर्वक व्यवहार और हत्या सहित धमकी और उल्लंघन करने वाले दर्जन भर कृत्यों में शामिल होना शामिल है। यह अस्वीकार्य है।'

उन्होंने कहा, 'कनाडा-भारत का लोगों के बीच संबंधों, व्यापार और व्यवसाय का एक लंबा इतिहास रहा है। लेकिन हम अभी जो देख रहे हैं, उसका पालन नहीं कर सकते। कनाडा भारत की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का पूरा सम्मान करता है और हम उम्मीद करते हैं कि भारत सरकार कनाडा के लिए भी ऐसा ही करेगी।'

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ट्रूडो ने आरोप लगाया कि जब खुफिया एजेंसियों ने पिछले साल गर्मियों में कनाडा की धरती पर हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारत की संभावित संलिप्तता का सुझाव दिया, तो उनका पहला संपर्क भारत सरकार से इस मुद्दे को सुलझाने में सहयोग का अनुरोध करना था। ट्रूडो ने कहा, 'भारत सरकार ने यह सोचकर बुनियादी ग़लती की है कि वे कनाडा की धरती पर कनाडाई लोगों के खिलाफ आपराधिक गतिविधियों का समर्थन कर सकते हैं, चाहे वह हत्या हो या जबरन वसूली। यह बिल्कुल अस्वीकार्य है।' उन्होंने कहा, 'जब मैंने पिछले सप्ताह के अंत में पीएम मोदी से बात की, तो मैंने इस बात पर जोर दिया कि इस सप्ताहांत सिंगापुर में हमारे राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों के बीच होने वाली बैठक कितनी महत्वपूर्ण होने वाली है। उन्हें उस बैठक के बारे में पता था और मैंने उनसे कहा कि बैठक को बहुत गंभीरता से लिया जाना चाहिए।'

विदेश मंत्री मेलानी जोली ने कहा कि वे दोनों देशों के बीच लोगों के आपसी गहरे संबंधों को देखते हुए भारत के साथ कूटनीतिक टकराव नहीं चाहते, लेकिन भारत को जांच में सहयोग करना चाहिए। इससे पहले उन्होंने एक बयान जारी कर दावा किया था कि कनाडा ने भारत से अपने राजनयिक और काउंसलर को मिली इम्युनिटी त्यागने और पुलिस जांच में सहयोग करने के लिए कहने के बाद छह राजनयिकों को निष्कासित कर दिया।

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क़मर वहीद नक़वी
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