loader
इजराइल विरोधी प्रदर्शन का यह दृश्य बगदाद के तहरीर चौक का है।

फिलिस्तीनी लोगों पर इज़राइली हमले के खिलाफ पूरी दुनिया में प्रदर्शन

ग़ज़ा पट्टी में इजराइली कार्रवाई के खिलाफ खाड़ी देशों के अलावा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। इज़राइल ने ग़ज़ा निवासियों को इलाका छोड़ने के लिए कहा है। फ़िलिस्तीनियों का एक तरह से नरसंहार शुरू हो गया है। शुक्रवार को सबसे महत्वपूर्ण प्रदर्शन न्यूयॉर्क शहर में हुआ, जहां हजारों लोगों ने पूरे अमेरिकी राजनीतिक प्रतिष्ठान और पश्चिमी मीडिया के इजराइल समर्थक प्रचार के खिलाफ रैली निकाली। इतना ही नहीं न्यूयॉर्क के प्रदर्शन में 1,000 से अधिक यहूदी भी शामिल थे, जिन्होंने ग़ज़ा में हो रहे अपराधों के प्रति अपना आक्रोश व्यक्त किया।

शुक्रवार को अन्य विरोध प्रदर्शन पिट्सबर्ग, पोर्टलैंड और वाशिंगटन डीसी में भी हुए जिनमें सैकड़ों लोग शामिल थे। इन प्रदर्शनों में ज्यादातार प्रोफेशनल्स और हर पृष्ठभूमि के युवक शामिल हैं। 2021 के एक सर्वेक्षण में पाया गया था कि एक-चौथाई अमेरिकी यहूदी इज़राइल को फिलिस्तीनियों के प्रति शत्रुतापूर्ण "रंगभेदी राज्य" मानते हैं। मौजूदा युद्ध के बाद यह आंकड़ा और बढ़ेगा।
ताजा ख़बरें
लंदन में ब्रिटिश सरकार के सारे आदेशों को अंगूठा दिखाते हुए हजारों लोग सड़कों पर उतरे। ब्रिटिश सरकार ने प्रदर्शनकारियों को चेतावनी दी थी कि वे फिलिस्तीनी झंडा लेकर प्रदर्शन नहीं करें। लेकिन लोगों ने भारी तादाद में फिलिस्तीनी झंडों के साथ प्रदर्शन किया।
Israel-Hamas War: Demonstrations all over world against Israeli atrocities on Palestinian - Satya Hindi
कनाडा के टोरंटो में फिलिस्तीन के समर्थन में प्रदर्शन

बगदाद से अम्मान-जकार्ता-इस्लामाबाद तक प्रदर्शन

दुनिया के 22 मुस्लिम देशों में कोई ऐसा कोना नहीं बचा है, जहां फिलिस्तीनियों के समर्थन में प्रदर्शन न हो रहे हों। प्रदर्शनों का यह सिलसिला जुमे की नमाज के बाद शुरू हुआ था जो शनिवार को अलग-अलग टाइम जोन में जारी है।

तहरीर चौक पर जन सैलाब

बगदाद के तहरीर चौक पर  इराक के प्रभावशाली शिया नेता मुक्तदा अल-सद्र के आह्वान पर हजारों लोग जुमे की नमाज के बाद विरोध प्रदर्शन के लिए जमा हो गए। यमन की राजधानी सना में प्रदर्शनकारी यमनी और फिलिस्तीनी झंडे लहराते हुए सड़कों पर उतर आए। पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद में नमाज के बाद प्रदर्शनकारियों ने अमेरिका और इजराइल के झंडों को  पैरों से रौंदा। यहां बताना जरूरी है कि इराक पर अमेरिकी फौज हमला कर चुकी हैं। इराक की बर्बादी का आरोप अमेरिका पर है। पाकिस्तान अमेरिका का पुराना मित्र देश है। यानी इराक और पाकिस्तान कूटनीतिक रूप से अमेरिका के साथ हैं लेकिन वहां की जनता अमेरिका के खिलाफ है। इसी तरह यमन का सऊदी अरब से विवाद चल रहा है, जिसमें अमेरिका सऊदी अरब के साथ है। यमन की जनता का रुख भी अमेरिका विरोधी है।

मलेशिया

फ़िलिस्तीनियों के साथ एकजुटता दिखाने के लिए शुक्रवार की नमाज़ के बाद मलेशिया के कुआलालंपुर में लगभग 1,000 मुसलमानों ने रैली की। "फ्री फ़िलिस्तीन" और "ज़ायोनीवादियों को कुचलो" के नारे लगाते हुए, उन्होंने इज़रायली झंडों से लिपटे दो पुतले जलाए। इंडोनेशिया में इस्लामी नेताओं ने दुनिया के सबसे अधिक आबादी वाले मुस्लिम बहुल देश की सभी मस्जिदों से फिलिस्तीनी लोगों के लिए शांति और सुरक्षा के लिए दुआ करने की अपील की। इंडोनेशियाई मस्जिद परिषद के अध्यक्ष ने सभी मस्जिदों से सुरक्षा के लिए की जाने वाली कुनुत नाज़िलातो दुआ करने, ईश्वर से मदद मांगने का आग्रह किया था ताकि "ग़ज़ा पट्टी में संघर्ष जल्दी खत्म हो जाए।"

बेरूत

बेरूत में, लेबनान के हिजबुल्लाह समर्थक हजारों लोगों ने लेबनानी, फिलिस्तीनी और हिजबुल्लाह के झंडे लहराए। प्रदर्शनकारियों ने "इजराइल को मौत" का आह्वान किया। ईरान समर्थित हिजबुल्लाह लड़ाकों ने हमास के हमले के बाद छिटपुट हमले शुरू किए हैं, लेकिन बड़े पैमाने पर युद्ध से अभी तक किनारे हैं। हालाँकि, हिज़्बुल्लाह के उप महासचिव ने चेतावनी दी कि वो अरब सागर की ओर जाने वाले अमेरिका और ब्रिटिश नौसेना के जहाजों पर "नज़र रखेगा"। हालांकि राष्ट्रपति बाइडेन सहित अमेरिकी अधिकारियों ने बार-बार ईरान और हिजबुल्लाह को इजराइल और हमास के बीच संघर्ष से दूर रहने की चेतावनी दी है।

दुनिया से और खबरें

सीरिया

सीरिया की राजधानी दमिश्क में प्रदर्शनकारियों ने भी रैली की। इसमें यरमौक रिफ्यूजी कैंप के फिलिस्तीनी भी शामिल थे। सीरिया में रहने वाले 23 वर्षीय फिलिस्तीनी अहमद सईद ने 1948 के युद्ध का जिक्र करते हुए कहा, "मैं लोगों से कहता हूं कि वे अपने घर न छोड़ें अन्यथा वे हमारे दादा-दादी की तरह होंगे जो फिलिस्तीन छोड़कर सीरिया आए लेकिन कभी वापस नहीं लौटे।"

इजिप्ट

शुक्रवार की नमाज के बाद, मिस्र (इजिप्ट) के प्रदर्शनकारियों ने सुन्नी मुस्लिम दुनिया की सबसे प्रमुख धार्मिक संस्था, काहिरा शहर के ऐतिहासिक अल-अजहर मस्जिद में फिलिस्तीन के लिए दुआ की और कहा कि इज़राइल "पीढ़ी दर पीढ़ी" उनका दुश्मन बना हुआ है। उन्होंने पारंपरिक रूप से राष्ट्रवादी नारा दोहराया, "हम अपनी आत्मा और खून अल-अक्सा को देते हैं।"
सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
क़मर वहीद नक़वी
सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें

अपनी राय बतायें

दुनिया से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें