तोशाखाना विवाद तब सामने आया था जब अगस्त 2022 में पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार ने इमरान के खिलाफ मामला दायर किया था। इसमें दावा किया गया कि उन्होंने तोशाखाना को दिए गए उपहारों के बारे में और कुछ उपहारों की 'अवैध' बिक्री से आय की जानकारी का खुलासा नहीं किया है।
हालाँकि, जब इमरान 2018 में सत्ता में आए तो उन्होंने कार्यालय में अपने समय के दौरान प्राप्त कई उपहारों के विवरण का खुलासा करने का विरोध करते हुए कहा था कि ऐसा करने से अन्य देशों के साथ संबंधों पर गंभीर प्रभाव पड़ेगा।
बाद में इमरान ने पाकिस्तान के चुनाव आयोग को एक पत्र लिखा और कम से कम चार ऐसे तोहफे बेचने की बात स्वीकार की थी। लेकिन इसके साथ उन्होंने यह भी कहा था कि उन्होंने उन्हें सरकार से उनके मूल्य का एक प्रतिशत चुकाकर खरीदा था। इनमें सऊदी अरब के राजकुमार द्वारा उन्हें उपहार में दी गई एक ग्रेफ घड़ी, रोलेक्स घड़ियाँ, महंगे कफ़लिंक, एक महंगी पेन और एक अंगूठी शामिल थी।
इमरान के खिलाफ मामला दर्ज होने के लगभग दो महीने बाद पाकिस्तान के चुनाव आयोग ने पाया कि बिक्री अवैध नहीं थी क्योंकि आइटम इमरान के थे क्योंकि उन्होंने उनके लिए भुगतान किया था। इसके साथ ही आयोग ने यह भी कहा था कि लेकिन वह गलत व्यवहार और गलत घोषणा कर अनैतिक व्यवहार में लिप्त थे। शीर्ष चुनाव निकाय ने इमरान को पांच साल के लिए सार्वजनिक पद संभालने से रोक दिया था। चुनाव आयोग के इस फ़ैसले के बाद इमरान की पार्टी के कार्यकर्ताओं और समर्थकों ने जबरदस्त प्रदर्शन किया। तब से इमरान और उनके समर्थक लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं।
बहरहाल, तोशाखाना का मामला अदालत में पहुँचा और अदालत ने इस मामले में इमरान ख़ान को अदालत में पेश होने के लिए कहा। 28 फ़रवरी को इस मामले में जब दोष साबित किया जाना था तब भी वह अदालत में पेश नहीं हो पाए। कोर्ट ने नोट किया कि बार-बार कहने के बावजूद इमरान कोर्ट में पेश नहीं हुए। पाकिस्तान के प्रमुख अख़बार डॉन की रिपोर्ट के अनुसार इमरान ने मौजूदा प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ और आईएसआई प्रमुख पर आरोप लगाया कि वे उन्हें रास्ते से हटाना चाहते हैं।
तीन साल की सजा
तोशाखाना उपहारों का विवरण छिपाने के लिए पीटीआई प्रमुख के खिलाफ पाकिस्तान चुनाव आयोग (ईसीपी) की आपराधिक शिकायत पर सुनवाई करते हुए अदालत ने अदालत से अनुपस्थित इमरान को तीन साल की जेल की सजा सुनाई और उन पर 100,000 रुपये का जुर्माना लगाया। उनके वकील भी मौजूद नहीं थे।
सजा के बाद कुछ महत्वपूर्ण बिन्दु
- इस्लामाबाद अदालत का फैसला, इमरान की बेईमानी को "संदेह से परे साबित" करता है। लेकिन यह कोर्ट का नजरिया है। इमरान और उनके समर्थकों ने इसका हमेशा खंडन किया।
- पीटीआई प्रमुख के वकील ने फैसले को "न्याय की हत्या" माना।
- इमरान ने समर्थकों से शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन जारी रखने का आग्रह किया।
- इमरान खान तकनीकी रूप से संविधान के अनुच्छेद 63(1)(एच) के तहत पांच साल के लिए किसी भी सार्वजनिक पद पर रहने के लिए अयोग्य हैं।
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