ग़ज़ा की सीमा से सटे इज़राइल के शहर किबुत्ज़ नाहल ओज़ क़रीब-क़रीब तबाह हो गया है। छह-सात अक्टूबर की दरमियानी रात को हमास ने हमला किया था। पूरे शहर में गोलियों की आवाज़ सुनाई दे रही थी। गलियों में फायरिंग के साथ ही अरबी में लोगों की आवाज़ें सुनाई दे रही थीं। हमास के लड़ाके लोगों को ढूंढ-ढूंढ कर मार रहे थे। घर-घर की तलाशी रहे थे। जो पकड़े गए वे या तो मार दिए गए या फिर बंधक बना लिए गए। लोग खुद को बचाने के लिए लगातार मदद मांगते रहे। सेना के पहुँचने का इंतज़ार करते रहे। कुछ लोग 'सेफ़ रूम' में बंद होकर प्रार्थना करते रहे तो डरे-सहमे हुए ही कुछ हमास के लड़ाकों से मुक़ाबला करने को मुस्तैद रहे। घंटों सेना नहीं पहुँची। हमास के हमले में जीवित बचे लोगों ने ये दास्तां सुनाई है।