ग़ज़ा की सीमा से सटे इज़राइल के शहर किबुत्ज़ नाहल ओज़ क़रीब-क़रीब तबाह हो गया है। छह-सात अक्टूबर की दरमियानी रात को हमास ने हमला किया था। पूरे शहर में गोलियों की आवाज़ सुनाई दे रही थी। गलियों में फायरिंग के साथ ही अरबी में लोगों की आवाज़ें सुनाई दे रही थीं। हमास के लड़ाके लोगों को ढूंढ-ढूंढ कर मार रहे थे। घर-घर की तलाशी रहे थे। जो पकड़े गए वे या तो मार दिए गए या फिर बंधक बना लिए गए। लोग खुद को बचाने के लिए लगातार मदद मांगते रहे। सेना के पहुँचने का इंतज़ार करते रहे। कुछ लोग 'सेफ़ रूम' में बंद होकर प्रार्थना करते रहे तो डरे-सहमे हुए ही कुछ हमास के लड़ाकों से मुक़ाबला करने को मुस्तैद रहे। घंटों सेना नहीं पहुँची। हमास के हमले में जीवित बचे लोगों ने ये दास्तां सुनाई है।
हमले से सुरक्षित बचे लोगों ने हमले के क्षण के रुह कंपा देने वाली अपनी कहानी बताई है। उन्होंने बताया है कि कैसे वे बचाव दल के आने का इंतज़ार करते रहे, लेकिन कोई नहीं आया।
40 साल के एलाड फुटरमैन भी अपनी पत्नी और 6 महीने की बेटी के साथ कई घंटों तक अपने 'सेफ रुम' (सुरक्षित कमरे) में बंद रहे। इज़राइली अख़बार हारेत्ज़ की रिपोर्ट के अनुसार फुटरमैन ने कहा, 'विस्फोट सुबह छह बजे शुरू हुए। कुछ समय पहले मैं बाहर धूम्रपान कर रहा था और मैंने देखा कि घर के पास एक पेड़ का हिस्सा गिरा हुआ था और पास में ही एक मोर्टार का गोला गिरा था। इसलिए मैंने हमारे सुरक्षा समन्वयक, इलान फियोरेंटीनो को एक संदेश भेजा। लेकिन फियोरेंटीनो ने कोई जवाब नहीं दिया। मुझे उसके लिए चिंता होने लगी।'
फ़ुटरमैन ने कहा, 'हमने बच्चे को उठाया और सेफ़ रूम की ओर भागे, मेरी पत्नी का पैर टूटा हुआ था। और फिर हमें राइफल की गोलीबारी की आवाजें सुनाई देने लगीं। हमने सुरक्षित कमरे को बंद करने का फैसला किया।' उन्होंने कहा कि कमरे में पहले रहने वाले शख्स द्वारा लगाया गया बोल्ट ही एकमात्र ऐसी चीज़ थी जिसने फ़ुटरमैन और उनके परिवार को मौत से बचा लिया। उन्होंने कहा कि सुबह 11 बजे हमास के आतंकवादी उनके घर में घुस आये।
उन्होंने हारेत्ज़ से कहा, "हमने उन्हें अरबी में चिल्लाते हुए और एक कमरे से दूसरे कमरे में जाते हुए सुना। उन्होंने सेफ़ रुम को खोलने की कोशिश की। मैं दरवाजे के पास कुल्हाड़ी लेकर खड़ा हो गया। मेरी पत्नी और बेटी सेफ़ रुम में एक कोठरी में छुपे हुए थे। मैं सबको संदेश दे रहा था, 'आइए! मैं आपसे हाथ जोड़ कर प्रार्थना करता हूं! हमें बचाएं!' मैं बता रहा था कि वे दरवाज़ा खोलने की कोशिश कर रहे थे। हम मौत से एक क्षण दूर थे।"
रिपोर्ट के अनुसार फ़ुटरमैन ने कहा, 'अपने दाहिने हाथ में कुल्हाड़ी और बाएं हाथ में अपना फ़ोन लिए सेफ़ रुम के दरवाज़े के पास आतंकवादियों से केवल कुछ सेंटीमीटर की दूरी पर खड़े होकर, मैंने अपने आप से कहा- काश वे इसे पूरी तरह ख़त्म न कर दें।' उन्होंने कहा, "मैं चाहता था कि लोग जानें कि क्या हुआ था, और यह जानते हुए कि मैं जीवित नहीं बच पाऊंगा, मैंने एक फेसबुक पोस्ट लिखने का फैसला किया।"
उस पोस्ट में उन्होंने लिखा कि घर में आतंकवादी हैं और वह सेफ़ रुम में बंद हैं, कोई बचाने नहीं आ रहा है। उन्होंने कहा, 'लेकिन, सेना कभी नहीं आई।' उन्होंने कहा, 'किसी के लगाए गए बोल्ट की वजह से हम मौत से बच गए। इज़रायली सेना या पुलिस ने नहीं, बल्कि लोहे के एक टुकड़े ने मुझे और मेरी पत्नी और बच्चे को बचाया।'
उन्होंने आरोप लगाया कि 'सच्चाई यह है कि उन्होंने हमें छोड़ दिया - मुझे, मेरी माँ, मेरी पत्नी, मेरी बेटी, पूरा इलाका, मेरी पूरी दुनिया। सैनिकों को लाने में कितना समय लगता है? एक घंटा, दो, तीन? चार घंटों में आप गोलान हाइट्स से सैनिकों को [गाजा] सीमा पर ला सकते हैं। लेकिन वहां कुछ भी नहीं था। सरकार और सेना के अधिकारियों ने हमें छोड़ दिया।'
शनिवार शाम को ही किबुत्ज़ में लोगों को सैनिकों द्वारा बचाया जा सका। उन्हें एक घर में एक साथ एकत्र किया गया और फिर ह्यूमर्स पर दक्षिणी बेस पर ले जाया गया।
रिपोर्ट के अनुसार फ़ुटरमैन ने कहा, "और मैं बेस के बाहर गया और खुद को तीन मिनट का समय दिया। मैं चीखना चाहता था और मैं जानता था कि मुझे चिल्लाना नहीं चाहिए। यहाँ एक समुदाय है, और कोई भी इसको बर्दाश्त नहीं कर सकता। मैंने मन ही मन चिल्लाया। तीन मिनट। फिर मैंने अपनी आँखें पोंछीं और अपनी पत्नी और माँ के पास लौट आया जिन्हें भी किबुत्ज़ से निकाल लिया गया था।"
फ़ुटरमैन ने कहा कि "मुझे बताया गया कि किबुत्ज़ बेरी में 100 से अधिक लोग मारे गए हैं; मैं उनमें से कम से कम 50 को जानता हूं। यह वह समुदाय है जिसका मैं हिस्सा हूं। औसतन हर दो घंटे में, मैं सुनता हूं कि यह लड़का मर गया है, या जिस लड़की के साथ मैंने स्नातक किया था, उसका गजा में अपहरण कर लिया गया है। और यह अभी भी जारी है।"
अपने 87वें जन्मदिन से तीन दिन पहले, 7 अक्टूबर, 2023 को सरेला शिम्रोन सुबह लगभग 6 बजे उठीं। गाजा से सायरन और रॉकेट बैराज की आवाज़ से। उन्होंने कहा कि वह घर पर अकेली थीं, और हमेशा सेफ़ रुम में सोती थीं। सायरन सुनकर पहले तो उन्हें लगा कि वह सपना देख रही है। उन्होंने कहा, “मुझे विश्वास नहीं हो रहा था कि ऐसा हो रहा है क्योंकि हाल ही में सब कुछ शांत था।"
लोगों ने गोलियों की आवाजें और लोगों को अरबी में बात करते हुए भी सुना। शिम्रोन को एहसास हुआ कि किबुत्ज़ में आतंकवादी थे। वह घंटों तक अपने सेफ़ रुम में अकेली छिपी रहीं। हमास के आतंकवादियों ने उनके पड़ोसियों को मार डाला, लूट लिया या अपहरण कर लिया और उन्हें गाजा ले गए। उन्होंने कहा, 'मैं यह समझने की कोशिश भी नहीं कर सकती कि क्या हुआ। मुझे समझ नहीं आ रहा कि हमारे सैनिक कहाँ थे।' उन्होंने कहा कि लंबे समय के बाद आईडीएफ सैनिक उनके घर पहुंचे।
ज़ेड 7 साल की उम्र में अर्जेंटीना से इज़राइल आ गया। हमास के साथ युद्ध के बाद वह 2014 में अपनी पत्नी और दो बच्चों के साथ नाहल ओज़ चला गया और फिर किबुत्ज़ में चले गए। तब से, उनके दो और बच्चे हैं। शनिवार सुबह उन्होंने भी खुद को और अपने परिवार को एक सेफ़ कमरे में बंद किया। उन्होंने कहा, "घटना सुबह 6:30 बजे शुरू हुई। मोर्टार फायर के साथ और उसके तुरंत बाद हमें एहसास हुआ कि यह उससे कहीं अधिक जटिल है।
उन्होंने कहा, “हमने खुद को सुरक्षित कमरे में बंद कर लिया। मेरे पास चाकू था, बच्चों में से एक के पास तलवार थी, और हमने प्रार्थना की। हम 13 घंटे तक ऐसे ही रहे - घर में बंद रहे और प्रार्थना करते रहे।'' ज़ेड ने भी कहा कि उन्हें लगा कि उनको छोड़ दिया गया है।
फ़ुटरमैन ने इन घटनाओं के लिए प्रधानमंत्री पर निशाना साधा। उन्होंने कहा, प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने अब 20 वर्षों तक देश चलाया है। उन्होंने कहा, 'अगर लोग अब नहीं उठते और उसे बाहर नहीं फेंकते, तो मैं इज़राइल में नहीं रहूंगा। मैं नास्तिक हूं, लेकिन यहूदी हूं। और एक यहूदी के लिए, प्रत्येक व्यक्ति एक संपूर्ण विश्व है। मेरे विचार में नेतन्याहू ने इस क्लब में अपनी सदस्यता खो दी है। एक यहूदी इस तरह अन्य यहूदियों को त्याग रहा है? राज्य के पूरे लोकाचार को मिटा दिया गया है। मैं बता नहीं सकता कि मैं कितना गुस्से में हूं। मैं उस सरकार और सेना के अधिकारियों को कभी माफ नहीं करूंगा जिन्होंने मुझे मरने के लिए छोड़ दिया।'
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