तमिल अलगाववादी आन्दोलन को कुचलने और गृहयुद्ध में देश को जीत दिलाने वाले सैनिक कमान्डर के रूप में मशहूर गोतबया राजपक्षे श्रीलंका के अगले राष्ट्रपति होंगे। उनके मुख्य विरोधी और सत्तारूढ़ दल के उम्मीदवार सुजीत प्रेमदास ने अपनी हार स्वीकार कर ली है। इसे भारत की कूटनीतिक हार के रूप में देखा जा सकता है। साथ ही, गोतबया राजपक्षे की जीत हिन्द महासागर में चीन के बढ़ते प्रभाव का संकेत है। यह भारत के लिए अधिक चिंता की बात है।
मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, राजपक्षे को 49.6 प्रतिशत वोट मिले हैं, जबकि उनके मुख्य प्रतिद्वंद्वी प्रेमदास को 44.4 प्रतिशत वोट हासिल हुआ है। चुनाव आयोग के अध्यक्ष महिंदा देशप्रिय ने कहा कि लगभग 80 प्रतिशत यानी क़रीब 1 करोड़ 60 लाख लोगों ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया है।