Congratulations @GotabayaR on your victory in the Presidential elections.
— Narendra Modi (@narendramodi) November 17, 2019
I look forward to working closely with you for deepening the close and fraternal ties between our two countries and citizens, and for peace, prosperity as well as security in our region.
कौन हैं सुजीत प्रेमदास?
तत्कालीन प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे की सरकार पर ख़ुफ़िया जानकारी नहीं इकट्ठी करने और हमले को रोकने में नाकाम रहने के आरोप लगे थे। उन्होंने बाद में इस्तीफ़ा भी दे दिया था।
सत्तारूढ़ दल के राष्ट्रपति उम्मीदवार सुजीत प्रेमदास उनके सहयोगी थे। सुजीत के पिता रणसिंधे प्रेमदास श्रीलंका के राष्ट्रपति थे, जिनकी हत्या मई 1993 में तमिल टाइगर्स ने आतंकवादी हमले में कर दी थी।
गोतबया राजपक्षे होने का मतलब!
लेकिन चुनाव प्रचार के दौरान सबसे बड़ी बात थी उग्र राष्ट्रवाद की भावना को बढ़ाने की। गोतबया राजपक्षे उस महिंदा राजपक्षे के छोटे भाई हैं जो 2005-15 के बीच श्रीलंका के राष्ट्रपति थे। वे बेहद मजबूत और कुशल प्रशासक समझे जाते थे।
जिस समय श्रीलंका में गृहयुद् हुआ था, गोतबया राजपक्षे सेना में थे। उनकी ख्याति उस युद्ध में देश को जीत दिलाने वाले और अलगाववादी आन्दोलन को कुचनले वाले व्यक्ति के रूप में थी।
गोतबया राजपक्षे उग्र राष्ट्रवाद के प्रतीक के रूप में तो उभरे ही, वह सिंहलियों के बीच बेहद लोकप्रिय थे और सिंहली व श्रीलंकाई राष्ट्रवाद के मिलेजुले चिह्न के रूप में पूरे देश में छा गए।
उग्र सिंहली राष्ट्रवाद!
लेकिन गोतबया पर मानवाधिकारों को कुचलने, बड़े पैमाने पर तमिलों और दूसरे अल्पसंख्यकों की हत्या और उत्पीड़न के आरोप लगे थे। उन पर युद्ध अपराध के आरोप लगे थे और कई अंतरराष्ट्रीय संगठनों ने उन पर युद्ध अपराध के मुक़दमे चलाने की माँग की थी। पर उनका कुछ न बिगड़ा और वे लोकप्रिय होते चले गए। वे जल्द ही सिंहली राष्ट्रवाद के प्रतीक के रूप में उभरे और आज नतीजा सबके सामने है।भारत की कूटनीतिक हार!
गोतबया राजपक्षे की जीत को भारत की कूटनीतिक हार इसलिए माना जा सकता है कि उनके समय चीन श्रीलंका में पैर पसार सका। अपने भाई महिंदा राजपक्षे के राष्ट्रपति रहते हुए ही गोतबया रक्षा सचिव बना दिए गए थे।गोतबया ने ही हम्बनटोटा में बंदहगाह बनाने का काम चीन को दिया, बीजिंग ने उसके लिए 8 अरब डॉलर माँगे और भुगतान न करने की स्थिति में श्रीलंका ने वह बंदरगाह ही चीन को दे दिया। यह बंदरगाह भारत की जल सीमा के कुछ नॉटिकल माइल की दूरी पर है।
अपनी राय बतायें