पिछले सप्ताह जर्मनी के पश्चिमी ज़िलों, बेल्जियम और नेदरलैन्ड्स में हुई घनघोर बारिश में 150 से अधिक लोग मारे गए हैं और हज़ारों लापता हैं।
क्या हम प्रकृति के ख़िलाफ़ जंग छेड़ कर ख़ुदकुशी कर रहे हैं?
- दुनिया
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- 19 Jul, 2021

ज़रूरत हर साल जितनी गैसें हम वायुमंडल में छोड़ते हैं उनसे ज़्यादा को वायुमंडल से सोखने की है। लेकिन अभी तक बड़े-बड़े देश अगले 20 से 40 बरसों के भीतर जितनी गैसें छोड़ते हैं उतनी ही सोखने की स्थित में पहुँचने के वादे कर रहे हैं और ये वादे भी बहुत विश्वसनीय नहीं जान पड़ते।
जर्मनी के पश्चिमी राज्य उत्तरी राइन-वेस्टफ़ालिया में पुरानी राजधानी बॉन के समीपवर्ती ज़िलों और उनसे लगते बेल्जियम के लिएज़ और वरवियर्स शहरों पर बादल फटने से जर्मन आर, मूज़ और वेस्द्र नदियों में सूनामी जैसी बाढ़ आई जो कई गाँवों और शहरों के घरों और वाहनों को बहा ले गई।
बाढ़ के कारण इसी इलाक़े में पड़ने वाले श्टाइनबाख़ बाँध के टूटने का ख़तरा पैदा हो गया है। एहतियात के तौर पर पानी के रास्ते में पड़ने वाले तीन गाँवों को खाली कराया जा रहा है।
60 वर्षों के बाद
जर्मनी में ऐसी भयंकर बाढ़ 60 वर्षों के बाद आई है, जिससे होने वाले नुक़सान का अनुमान अरबों डॉलर पार कर चुका है। बरसाती बादल अब स्विट्ज़रलैंड, सर्बिया और पूर्वी यूरोप की तरफ़ बढ़ रहे हैं जहाँ पिछले कई हफ़्तों से गर्मी की लहर चल रही थी।