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अमेरिकी संसद में हिंसा करने वालों को माफी क्यों? जानें कितना गंभीर अपराध था

किसी देश की संसद पर हमला करना, हिंसा करना और तोड़फोड़ कर संवैधानिक सम्मान को तार-तार कर देना क्या कोई सामान्य अपराध है? ऐसा अपराध करने वालों को क्या छोटी-छोटी वारदातें करने वालों जैसी माफी दी जा सकती है? कुछ ऐसे ही सवाल डोनाल्ड ट्रंप के एक फ़ैसले पर उठ रहे हैं। ऐसा इसलिए कि अमेरिकी संसद वाले भवन कैपिटल हिल बिल्डिंग में चार साल पहले हुई हिंसा के दोषियों को डोनाल्ड ट्रंप ने माफी दे दी है। उन्होंने इसके लिए अपने राष्ट्रपति के विशेषाधिकार का इस्तेमाल किया। 

ट्रंप ने ऐसा क्यों किया? कहीं इसलिए तो नहीं कि हिंसा में शामिल लोग किसी न किसी रूप में उनसे जुड़े थे? कहीं ऐसा तो नहीं कि वह हिंसा ही ट्रंप के उकसाने पर हुई थी जैसा कि पहले से ही ऐसी रिपोर्टें आती रही हैं? उस घटना की पूरी कहानी क्या है, यह जानने से पहले यह जान लें कि ट्रंप ने दोबारा राष्ट्रपति बनने के बाद क्या घोषणा की है। 

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कैपिटल हिंसा मामले में जेल की सजा काट रहे डोनाल्ड ट्रंप के सैकड़ों समर्थकों को इसी हफ़्ते मुक्त कर दिया गया। ट्रंप ने 6 जनवरी 2021 को हुई इस हिंसा मामले में 1500 से अधिक लोगों को माफी दे दी है। इनमें से कई ऐसे हैं जिन्होंने पुलिस अधिकारियों पर हमले किए थे। 

ट्रंप के इस फ़ैसले की पुलिस और उनके परिवार वालों ने निंदा की। अमेरिका के सबसे बड़े पुलिस संघ फ्रेटरनल ऑर्डर ऑफ पुलिस ने भी इस फ़ैसले की आलोचना की। विरोध जताने वालों में कुछ रिपब्लिकन सांसद भी शामिल हैं। रॉयटर्स और इप्सोस की ओर से कराए गए सर्वे में अधिकांश अमेरिकियों ने ट्रंप के इस फैसले को अस्वीकार कर दिया। 60 प्रतिशत लोगों ने कहा कि ट्रंप को सभी दोषियों को माफ़ नहीं करना चाहिए था।

लोग ट्रंप की आलोचना क्यों कर रहे हैं? 

दरअसल, कैपिटल बिल्डिंग हिंसा के लिए ट्रंप की आलोचना की जाती रही है। यह इसलिए कि जिस यूएस कैपिटल या कैपिटल बिल्डिंग में हिंसा हुई वहीं पर जो बाइडन की जीत को प्रमाण पत्र मिलने से पहले ट्रंप ने वाशिंगटन में एक रैली में कथित तौर पर भड़काऊ भाषण दिया था। इसमें उन्होंने कहा था कि 'हम कभी हार नहीं मानेंगे।' उन्होंने भीड़ को भड़काते हुए कहा था, 'आप कमज़ोरी से अपना देश फिर हासिल नहीं कर सकते।' ट्रंप ने भीड़ को कैपिटल बिल्डिंग की ओर कूच करने को कहा था। बता दें कि 2020 के राष्ट्रपति चुनाव में ट्रंप हार गए थे और तब जो बाइडेन ने जीत दर्ज की थी। इस नतीजे को ट्रंप पचा नहीं पा रहे थे। अमेरिका की राजधानी वाशिंगटन के शहर कैपिटल हिल में सांसदों की बैठक करने वाली जगह का नाम यूएस कैपिटल या कैपिटल बिल्डिंग है जहाँ हिंसा हुई थी। 

ट्रंप के भाषण के बाद ही उनके समर्थकों ने कैपिटल हिल बिल्डिंग में घुसने की कोशिश की और हिंसात्मक प्रदर्शन किया था।

उस हिंसा में 5 लोगों की मौत हो गई थी। ट्रंप समर्थक प्रदर्शनकारियों द्वारा कैपिटल बिल्डिंग में घुसने और हिंसा किये जाने को जो बाइडन को राष्ट्रपति नियुक्त करने में संसद की कार्यवाही में बाधा डालने के प्रयास के तौर पर देखा गया। 

हालाँकि दुनिया डोनल्ड ट्रंप के जिस 'भड़काऊ' भाषण को कैपिटल बिल्डिंग हिंसा के लिए ज़िम्मेदार ठहराती रही उसको उन्होंने उस घटना के क़रीब एक हफ़्ते बाद खारिज कर दिया था। ट्रंप ने अपने भाषण को पूरी तरह सही ठहराया था। हालाँकि उन्होंने पहले अमेरिकी संसद भवन हिंसा की निंदा की थी। 

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बता दें कि कैपिटल बिल्डिंग हिंसा के बाद ट्विटर, फ़ेसबुक और इंस्टाग्राम ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप का एकाउंट बंद कर दिया था। ऐसा शायद पहली बार हुआ था कि किसी राष्ट्र के प्रमुख का सोशल मीडिया एकाउंट इतने बड़े स्तर पर ब्लॉक किया गया हो। सोशल मीडिया साइटों ने यह कार्रवाई इसलिए की क्योंकि ट्रंप के 'उकसावे' वाले भाषण के कुछ घंटे बाद ही हिंसा हुई थी। हिंसा के लिए ट्रंप के ख़िलाफ़ दो महाभियोग प्रस्ताव भी लाए गए थे। ट्रंप सत्ता में रहते ऐसे पहले राष्ट्रपति बन गए जिनके ख़िलाफ़ दो बार महाभियोग प्रस्ताव लाए गए।

इस मामले में अमेरिकी संसद ने एक जाँच पैनल भी गठित किया था। हिंसा की जांच कर रहे कांग्रेस पैनल ने जून 2022 में कहा था कि चुनाव में गड़बड़ी का आरोप लगाते हुए ट्रंप ने सत्ता में बनने रहने के लिए तख्तापलट की कोशिश की थी। इसने यह भी कहा था कि तब ट्रंप ने अपने कथित भड़काऊ बयान से अपने समर्थकों की भीड़ को इकट्ठा किया और 'हमले के लिए भड़काया'। 

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तब एएफ़पी ने एक रिपोर्ट दी थी कि संसदीय पैनल के रिपब्लिकन उपाध्यक्ष लिज़ चेनी ने पहली बार अपनी प्रारंभिक टिप्पणी में कहा था, 'राष्ट्रपति ट्रम्प ने भीड़ को बुलाया, भीड़ को इकट्ठा किया और इस हमले के लिए भड़काया।' लिज़ से पहले डेमोक्रेटिक कमेटी के प्रमुख बेनी थॉम्पसन ने ट्रम्प पर 'इस साजिश के केंद्र में' होने का आरोप लगाया था।

थॉम्पसन ने कहा था, '6 जनवरी तख्तापलट के प्रयास का नतीजा थी- एक निर्लज्ज प्रयास, जैसा कि 6 जनवरी के तुरंत बाद एक दंगाई ने कहा- सरकार को उखाड़ फेंकने के लिए। हिंसा कोई दुर्घटना नहीं थी।' उन्होंने कहा कि दंगाइयों ने 'संयुक्त राज्य के राष्ट्रपति के उकसावे पर' कांग्रेस तक मार्च किया और सांसदों द्वारा बाइडन को सत्ता के औपचारिक हस्तांतरण को रोकने का काम किया।

(इस रिपोर्ट का संपादन अमित कुमार सिंह ने किया है।)
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