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फोटो साभार: एक्स/व्हाइट हाउस

अप्रवासियों का निर्वासन शुरू; ट्रंप का दुनिया को कड़ा संदेश क्या?

डोनाल्ड ट्रंप ने जो वादा किया उसे पूरा कर दिखाया। द व्हाइट हाउस ने एक पोस्ट में यह लिखा है। इसकी यह पोस्ट अवैध अप्रवासियों पर कार्रवाई और उनको निर्वासित करने को लेकर है। इसमें कहा गया है कि डिपोर्टेशन यानी निर्वासन की कार्रवाई शुरू हो गयी है और यह दुनिया के लिए कड़ा संदेश है। डोनाल्ड ट्रंप चुनाव जीतने से पहले से ही कथित अवैध अप्रवासियों के ख़िलाफ़ कार्रवाई करने का वादा करते रहे हैं। राष्ट्रपति बनने के तीन दिनों के भीतर ही उन्होंने इस मामले में कार्रवाई शुरू कर दी। ट्रंप की इस कार्रवाई की जद में क़रीब 18-20 हज़ार भारतीय भी आएँगे क्योंकि ये कथित रूप से वैध दस्तावेजों के बिना ही अमेरिका में रह रहे हैं।

द व्हाइट हाउस ने एक पोस्ट कर कहा है कि 'जैसा कि राष्ट्रपति ट्रंप ने वादा किया था, वह विश्व को एक कड़ा संदेश दे रहे हैं: जो अवैध रूप से अमेरिका में प्रवेश करेंगे, उन्हें गंभीर परिणाम भुगतने होंगे।'

राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के नेतृत्व में नए अमेरिकी प्रशासन के आने के सिर्फ़ तीन दिनों के भीतर ही अधिकारियों ने अवैध प्रवासियों पर नकेल कसना शुरू कर दिया है। इनमें से सैकड़ों को गिरफ़्तार करके निर्वासित करना भी शुरू कर दिया गया है। 

व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरोलिन लेविट ने 538 अवैध अप्रवासी अपराधियों की गिरफ़्तारी की घोषणा की है, जिनमें एक संदिग्ध आतंकवादी और नाबालिगों के विरुद्ध यौन अपराधों के दोषी कई व्यक्ति शामिल हैं। उन्होंने कहा, 'इतिहास का सबसे बड़ा निर्वासन अभियान अच्छी तरह से चल रहा है। वादे किए गए। वादे पूरे किए गए।' उन्होंने कहा, 'ट्रंप प्रशासन ने 538 अवैध अप्रवासी अपराधियों को गिरफ़्तार किया है, जिनमें से एक संदिग्ध आतंकवादी, ट्रेन डी अरागुआ गिरोह के चार सदस्य और नाबालिगों के विरुद्ध यौन अपराधों के दोषी कई अवैध लोग शामिल हैं।'

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लेविट ने आगे कहा कि निर्वासन उड़ानें शुरू हो गई हैं, सैकड़ों प्रवासियों को पहले ही अमेरिकी सैन्य विमानों द्वारा निर्वासित किया जा चुका है।

व्हाइट हाउस ने यू.एस. इमिग्रेशन और कस्टम्स इंफोर्समेंट द्वारा गिरफ्तार किए गए व्यक्तियों के नाम सूचीबद्ध किए। गिरफ्तार किए गए लोगों द्वारा किए गए अपराधों में बलात्कार, एक बच्चे के साथ यौन व्यवहार और 14 वर्ष या उससे कम उम्र के बच्चे का लगातार यौन शोषण शामिल है। 

शुरुआती जानकारी में यह साफ़ नहीं है कि गिरफ़्तार किए गए और वापस भेजे गए लोगों में से किन-किन देशों के नागरिक हैं। वैसे, अमेरिका में बड़ी संख्या में वैसे भारतीय रह रहे हैं जिनके पास वैध कागजात नहीं हैं।

अवैध आव्रजन पर ट्रंप के फ़ैसले के बाद बेचैनी भारत में भी महसूस की जा रही है। मोदी सरकार इस बात को लेकर परेशान है कि यूएस से बड़ी तादाद में ऐसे भारतीयों की वापसी हो सकती है जो अवैध अप्रवासी की श्रेणी में आते हैं। ऐसे लोगों की संख्या 18-20 हज़ार है। 

अमेरिका में अवैध रूप से रह रहे 18 हजार भारतीयों की देश में वापसी होगी। अमेरिकी वेबसाइट ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक इनके पास अमेरिका की नागरिकता नहीं है, वहां की नागरिकता हासिल करने के लिए सही कागज दस्तावेज भी नहीं हैं।

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अमेरिकी दौरे पर गए विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बुधवार को कहा कि हम अमेरिका में अवैध रूप से रह रहे भारतीय नागरिकों की वापसी के लिए तैयार हैं। विदेश मंत्री ने इस मुद्दे पर भारत के रुख को स्थिर और सैद्धांतिक बताया। उन्होंने वॉशिंगटन में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा, 'हमारा मानना है कि यदि हमारे नागरिक यहाँ अवैध रूप से रह रहे हैं और ये तय हो जाता है कि वे हमारे नागरिक हैं, तो उनकी वापसी के लिए हम हमेशा तैयार हैं।' जयशंकर ने कहा कि भारत अवैध प्रवासन का कड़ा विरोध करता है, यह देशों की छवि के लिए अच्छा नहीं है क्योंकि इससे अवैध गतिविधियों को बढ़ावा मिलता है।

बता दें कि रिपब्लिकन के नेतृत्व वाले सदन ने बुधवार को चोरी और हिंसक अपराधों के आरोपी अनधिकृत अप्रवासियों को हिरासत में लेने की आवश्यकता वाले एक विधेयक को पारित किया है। इसके अलावा ट्रंप ने यूएस-मेक्सिको सीमा को सील करने और स्थायी क़ानूनी स्थिति के बिना अप्रवासियों के निर्वासन में तेजी लाने के उद्देश्य से कार्यकारी आदेश जारी किए। 

(इस रिपोर्ट का संपादन अमित कुमार सिंह ने किया है।)
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