प्रदर्शन, नारेबाजी
एक दूसरे राज्य केंटकी की राजधानी फ़्रैंकफोर्ट में गवर्नर के कार्यालय के सामने हज़ारों लोगों ने नारेबाजी ठीक उसी समय की जब वह प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रहे थे। डेमोक्रेट गवर्नर एंडी बेशियर ने लोगों को समझाने बुझाने की कोशिश की, उनकी आवाज़ शोरगुल में डूब गई।दो करोड़ बेरोज़गार
इन प्रदर्शकारियों की बेचारगी समझी जा सकती है। मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, बीते कुछ हफ़्तों में 2.20 करोड़ लोगों ने श्रम कार्यालय में बेरोज़गारों को मिलने वाली सुविधाओं के लिए आवेदन किया है, यानी इतने लोगों की नौकरी हाल-फ़िलहाल गई है। समझा जाता है कि इसकी वजह कोरोना संक्रमण रोकने के लिए लगाई गई पाबंदियाँ हैं।विश्लेषकों का कहना है कि यह मानना ग़लत होगा कि इन प्रदर्शनों में सिर्फ़ हाशिए पर खड़े समूहों और समुदायों के लोग थे। लोगों का गुस्सा बढ़ता जा रहा है और जल्द ही यह पूरे देश में फैल सकता है।
राजनीतिक ग़लती!
रिपब्लिकन पार्टी से जुड़े ग्रेग मैकनेली ने न्यूयॉर्क टाइम्स से कहा कि सारी गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाते समय गवर्नरों ने लोगों का मूड भाँपने में ग़लती की। उन्होंने कहा कि पहले से ही निर्वाचित प्रतिनिधियों पर आम जनता का बहुत अधिक भरोसा नहीं रहा है और यह संकट उन्हें ऐसी स्थिति की ओर धकेल रहा है जहाँ लोग शायद उन पर फिर भरोसा न करें।गैलप पोल में भाग लेने वालों में ज़्यादातर लोगों ने कहा कि सरकार को अर्थव्यवस्था बंद रखने के बजाय कोरोना की रोकथाम पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
सज़ा की चिंता नहीं
लोगों के गुस्से का आलम यह है कि लोग खुले आम कह रहे हैं कि वे प्रशासन की अवमानना करने ही सड़कों पर उतरे हैं और उन्हें किसी की परवाह नहीं है। आइडाहो फ्रीडम फ़ाउंडेशन के अध्यक्ष वॉयन हॉफ़मैन ने कहा, ‘हमें हुक़्मऊदूली करनी ही है।’ उन्होंने कहा,“
‘आपको अपनी और दूसरों की सेहत का ख्याल रखना चाहिए, आपको अपनी आजीविका का भी ध्यान रखना चाहिए, अपने कर्मचारियों का भी ख्याल रखना चाहिए।’
वॉयन हॉफ़मैन, अध्यक्ष, आइडाहो फ्रीडम फ़ाउंडेशन
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