यूक्रेन-अमेरिका विवाद को लेकर यूरोप में एक अलग ही हलचल है। लंदन में यूरोपीय नेताओं की एक अहम बैठक ख़त्म हुई और दुनिया की निगाहें इस पर टिकी थीं कि क्या यूरोप अमेरिका और यूक्रेन के बीच बढ़ते मतभेदों को कम कर पाएगा। लेकिन बैठक के बाद भी अभी यूरोपीय नेता कई चीजों को लेकर आपस में सहमति बनाने में जुटे हैं।
फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों और उनके विदेश मंत्री ने कहा है कि फ्रांस और ब्रिटेन रूस और यूक्रेन के बीच एक महीने के आंशिक संघर्ष विराम का प्रस्ताव कर रहे हैं। इसमें हवाई, समुद्री और ऊर्जा ढाँचों पर हमलों को शामिल किया जाएगा, लेकिन इसमें जमीनी लड़ाई शामिल नहीं होगी। शुक्रवार को राष्ट्रपति वोलोडिमिर ज़ेलेंस्की और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच तीखी नोकझोंक के बाद यूक्रेन के लिए पश्चिमी समर्थन बढ़ाने के लिए यूरोपीय कूटनीति की हड़बड़ाहट के बीच यह टिप्पणी आई है।
रूस-यूक्रेन युद्ध अब अपने चौथे साल में प्रवेश कर चुका है, और हाल के महीनों में अमेरिका की नीतियों ने यूक्रेन को असहज कर दिया है। दूसरी ओर, यूरोप अपने पुराने सहयोगी अमेरिका और युद्धग्रस्त यूक्रेन, दोनों को संतुलित करने की कोशिश में जुटा है।
बैठक में फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने कहा, 'हमें एकजुट होकर यूक्रेन का समर्थन करना होगा, लेकिन यह भी सुनिश्चित करना होगा कि अमेरिका के साथ हमारा तालमेल बना रहे। यह यूरोप की सुरक्षा का सवाल है।' मेज पर कई मुद्दे थे। इसमें अमेरिका की ओर से यूक्रेन को रूस के साथ समझौते के लिए दबाव, यूक्रेन की नाराजगी, और रूस पर नए प्रतिबंधों की मांग शामिल है।
यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर ज़ेलेंस्की बैठक में शामिल हुए। उनका ग़ुस्सा साफ़ झलक रहा था। उन्होंने कहा, 'अमेरिका हमें बिना हमारी सहमति के रूस से डील करने को कह रहा है। यह हमारी संप्रभुता का अपमान है। हम अपनी जमीन का एक इंच भी नहीं छोड़ेंगे।' ज़ेलेंस्की ने यूरोप से मांग की कि वह अमेरिका पर दबाव डाले ताकि यूक्रेन को शांति वार्ता में शामिल किया जाए।
ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर ने ज़ेलेंस्की का समर्थन करते हुए कहा,
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हम यूक्रेन को 1.6 अरब पाउंड की अतिरिक्त सैन्य सहायता देंगे। यूरोप को अपनी रक्षा क्षमता बढ़ानी होगी, ताकि हम अमेरिका पर कम निर्भर रहें।
कीर स्टार्मर, प्रधानमंत्री, ब्रिटेन
जर्मनी के चांसलर ओलाफ शोल्ज ने भी सहमति जताई और रूस पर नए आर्थिक प्रतिबंधों का प्रस्ताव रखा।
मैक्रों ने कहा, 'सवाल यह है कि हम इस समय का उपयोग युद्धविराम के लिए कैसे करें, जिसमें वार्ता में कई सप्ताह लगेंगे और फिर, जब शांति समझौते पर हस्ताक्षर हो जाएँगे तो सैनिकों की तैनाती होगी। स्टार्मर ने रविवार को कहा कि यूरोपीय नेताओं ने अमेरिका के सामने पेश करने के लिए यूक्रेन शांति योजना तैयार करने पर सहमति व्यक्त की है, हालाँकि उन्होंने इसकी ज़्यादा जानकारी नहीं दी।
लेकिन बैठक में एक बड़ा सवाल अनसुलझा रहा—क्या यूरोप अमेरिका को अपनी बात मनवाने के लिए मजबूर कर पाएगा? हाल ही में सऊदी अरब के रियाद में अमेरिका और रूस के बीच हुई बैठक ने यूरोपीय नेताओं को चौंका दिया था। उस बैठक में यूक्रेन शामिल नहीं था। डोनाल्ड ट्रंप ने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से फोन पर बात की थी और शांति समझौते की रूपरेखा तैयार करने का दावा किया था। यूक्रेन और यूरोप दोनों को इससे बाहर रखा गया, जिससे तनाव और बढ़ गया।
ईयू की योजना अब साफ़ है। पहला, यूक्रेन को सैन्य और आर्थिक मदद बढ़ाना। दूसरा, रूस पर दबाव बनाने के लिए नए प्रतिबंध लगाना। तीसरा, अमेरिका के साथ एक शिखर सम्मेलन आयोजित करना, जिसमें यूक्रेन को वार्ता का हिस्सा बनाया जाए। मैक्रों ने सुझाव दिया कि अगर ज़रूरत पड़ी तो यूरोप को यूक्रेन में शांति सेना भेजने के लिए तैयार रहना चाहिए।
बैठक के बाद पत्रकारों से घिरे स्टार्मर ने कहा, 'हमारा लक्ष्य यूक्रेन की संप्रभुता की रक्षा करना है। अगर अमेरिका हमारी बात नहीं मानता, तो यूरोप को अपने दम पर आगे बढ़ना होगा।' लेकिन कई विश्लेषकों का मानना है कि यह आसान नहीं होगा। अमेरिका की सैन्य और आर्थिक ताक़त के बिना यूरोप के लिए रूस को रोकना मुश्किल हो सकता है।
दूसरी ओर, ज़ेलेंस्की अपने सलाहकारों के साथ अगले क़दम पर विचार कर रहे हैं। उन्होंने कहा, 'अगर यूरोप हमारा साथ देता है, तो शायद हम अमेरिका के बिना भी लड़ सकें। लेकिन हमें तैयार रहना होगा।' यूक्रेन के लिए यह अस्तित्व की लड़ाई है और यूरोप के लिए अपनी एकता का इम्तिहान।
क्या यूरोप वाक़ई अमेरिका और यूक्रेन के बीच की खाई को पाट पाएगा? या फिर यह युद्ध एक नया मोड़ लेगा? इसका जवाब आने वाले दिनों में ही मिलेगा, लेकिन यह बैठक एक बात तो साफ कर गई कि यूरोप अब चुप नहीं बैठेगा।
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