इज़राइल-हमास युद्ध के बाद एक और महत्वपूर्ण घटनाक्रम में खाड़ी क्षेत्र में अपनी स्थिति को मजबूत करने के लिए अमेरिकी एफ-15 स्ट्राइक ईगल लड़ाकू विमान मध्य पूर्व इलाके में पहुंच गया, उनकी रणनीतिक तैनाती की जा रही है।
अमेरिकी वायु सेना के लेफ्टिनेंट जनरल एलेक्सस जी. ग्रिनकेविच ने कहा, "अमेरिकी सेना पूरे मध्य पूर्व में स्थायी सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध है। लड़ाकू विमानों को तैनात करके हम अपनी साझेदारी और क्षेत्र में सुरक्षा को मजबूत कर रहे हैं।"
दूसरी तरफ रॉयटर्स को रियाध से जुड़े दो सूत्रों ने बताया कि सऊदी अरब इजराइल के साथ संबंधों को सामान्य बनाने की अमेरिका समर्थित योजनाओं को ठंडे बस्ते में डाल रहा है। इजराइल-हमास युद्ध बढ़ने के साथ ही सऊदी अरब अपनी विदेश नीति की प्राथमिकताओं पर तेजी से पुनर्विचार कर रहा है।
इजराइल-हमास युद्ध ने सऊदी अरब को ईरान के साथ जुड़ने के लिए प्रेरित किया है। सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने इसी हफ्ते सबसे पहले पहला फोन ईरानी राष्ट्रपति इब्राहिम रायसी को किया। दो सूत्रों ने रॉयटर्स को बताया कि इजराइल के साथ सामान्य संबंध बनाने पर अमेरिका समर्थित वार्ता में अब देरी होगी। हालांकि इजराइल-सऊदी संबंध अमेरिका के लिए सबसे महत्वपूर्ण है।
7 अक्टूबर को इज़राइल पर हमास के हमले से पहले इज़राइली और सऊदी दोनों नेता कहते रहे थे कि वे एक ऐसे समझौते की ओर तेजी से बढ़ रहे हैं जो मध्य पूर्व को नया आकार देगा। यानी दोनों देश अप्रत्यक्ष रूप से कह रहे थे कि मध्य पूर्व में नया समीकरण बढ़ने जा रहा है और इसमें ईरान कहीं नहीं होगा। वक्त का पहिया तेजी से घूम उठा।
सऊदी अरब यह तक संकेत दे रहा था कि बेशक इजराइल ने फिलिस्तीनियों को कोई रियायत नहीं दी है, इसके बावजूद वो अमेरिकी रक्षा समझौते को पटरी से उतरने नहीं देगा। सऊदी अरब, इस्लाम की जन्मस्थली है और इसके दो सबसे पवित्र स्थल मक्का-मदीना वहां हैं। जहां काबा है। पूरी दुनिया के मुसलमान वहां जाते हैं। युद्ध शुरू होने के बाद सऊदी अरब के तमाम शहरों और कस्बों में फिलिस्तीनियों के समथर्थन में जबरदस्त प्रदर्शन हो रहे हैं। जिसे सऊदी हुकूमत चाहकर भी नजरन्दाज नहीं कर सकती।
सूत्र ने रॉयटर्स से कहा कि बातचीत तो अब जारी नहीं रखी जा सकती। जब कभी इस पर फिर से चर्चा शुरू होगी तो फिलिस्तीनियों के लिए इजराइली रियायतों के मुद्दे को सऊदी अरब को प्राथमिकता देना होगा। रॉयटर्स ने इस मुद्दे पर सऊदी सरकार की टिप्पणी का अनुरोध किया, लेकिन उसे काई जवाब नहीं मिला।
बहरहाल, ईरान के प्रधानमंत्री इब्राहीम रईसी और सऊदी क्राउन प्रिंस के बीच 45 मिनट तक बातचीत हुई। इस बातचीत को ईरान के सुप्रीम लीडर खामेनाई का भी समर्थन प्राप्त था। हालांकि दोनों देशों ने आधिकारिक तौर पर कहा कि इस युद्ध को रुकवाने के लिए प्रयासों पर बातचीत हुई लेकिन विश्लेषकों का कहना है कि यह सिर्फ बातचीत नहीं है। यह सऊदी नीतियों को बदलने का संकेत भी है। जबकि अमेरिकी सुरक्षा अधिकारी कह रहे हैं कि अभी हमारा ध्यान दूसरी चुनौतियों की तरफ है। इस पर बाद में बात होगी।
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