प्रोफेसर मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व में बांग्लादेश की अंतरिम सरकार अडानी पावर समूह और बांग्लादेश के बीच हुए समझौते की छानबीन कर रही है। अंतरिम सरकार समझौते की शर्तों को जानने के लिए बेताब है। वो पता लगाना चाहती है कि क्या बिजली के लिए दी जा रही कीमत उचित है।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, "अडानी कारोबार की तरह बाकी भारतीय व्यवसायों की भी जांच की जाएगी... किस तरह के अनुबंध पर हस्ताक्षर किए गए हैं, नियम और शर्तें क्या हैं, कोई भी विदेशी कंपनी देश के कानून का पालन नहीं कर रही है। अंतरिम सरकार छिपी हुई बातों को सामने लाना चाहती है।"
अंतरिम सरकार के एक सूत्र ने कहा कि “इन जांच को भारतीय व्यवसायों को टारगेट करने के रूप में चित्रित नहीं किया जाए। उनकी जांच की जाएगी कि वे यहां क्या कर रहे हैं, बांग्लादेश कितना भुगतान कर रहा है, क्या यह उचित है, ये सभी सवाल सामने आएंगे।”
अडानी पावर ने नवंबर 2017 में बांग्लादेश पावर डेवलपमेंट बोर्ड के साथ 25 साल के 1,496 मेगावाट (शुद्ध) बिजली खरीद समझौते पर हस्ताक्षर किए। इसके तहत बांग्लादेश एजेपीएल के गोड्डा प्लांट से उत्पादित 100 फीसदी बिजली खरीदेगा। 100 प्रतिशत आयातित कोयले पर चलने वाली इस इकाई को मार्च 2019 में भारत सरकार द्वारा विशेष आर्थिक क्षेत्र घोषित किया गया था।
अप्रैल-जून 2023 के दौरान पूरी तरह से व्यावसायिक रूप से चालू होने वाला गोड्डा संयंत्र बांग्लादेश के बेस लोड का 7-10 प्रतिशत आपूर्ति करता है। 2023-24 में, इसने लगभग 7,508 मिलियन यूनिट बिजली का निर्यात किया, या भारत के कुल बिजली निर्यात 11,934 मिलियन यूनिट का लगभग 63 प्रतिशत बांग्लादेश को निर्यात किया। इस तरह बांग्लादेश को भारत का बिजली निर्यात 1 बिलियन डॉलर से अधिक हो गया है। यह पड़ोसी मुल्क को भारत से किये जाने वाले कुल निर्यात का लगभग 10 प्रतिशत है।
अडानी पावर के प्रवक्ता ने कहा: “हमें बांग्लादेश सरकार द्वारा हमारे पीपीए की समीक्षा करने की कोई जानकारी नहीं है। सच्ची साझेदारी की भावना से, हम पर भारी बकाया होने के बावजूद हम उन्हें बिजली की आपूर्ति जारी रखे हुए हैं। हम बांग्लादेश के अधिकारियों के साथ लगातार संपर्क में हैं और उनसे हमारे बकाया के शीघ्र देने के लिए अनुरोध किया है क्योंकि यह हमारे संचालन को अस्थिर बना रहा है।
फाइनेंशियल टाइम्स ने 9 सितंबर को बताया था कि अडानी ने बांग्लादेश की अंतरिम सरकार को चेतावनी दी थी कि उसके बकाया भुगतान का बकाया - $500 मिलियन से अधिक हो गया है। इस पर बांग्लादेश के ऊर्जा सलाहकार मुहम्मद फौजुल कबीर खान के हवाले से कहा गया है कि देश को कुल 3.7 बिलियन डॉलर की बिजली देनदारियों का सामना करना पड़ा, और अडानी को 492 मिलियन डॉलर का भुगतान करने में देर हो गई, जिस पर उसका कुल 800 मिलियन डॉलर बकाया है।
बांग्लादेश की अंतरिम सरकार का सबसे पहला टारगेट देश के आर्थिक हालात को संभालना है। एक अधिकारी ने कहा कि मोहम्मद यूनुस का ध्यान अभी सबसे ज्यादा उसी पर है। अधिकारी ने कहा, "हसीना पूरे प्रशासन को खराब करके गई हैं, वित्तीय हालात खराब हैं, भ्रष्टाचार व्याप्त है...चपरासी स्तर के कर्मचारियों ने करोड़ों बांग्लादेशी टका जमा कर लिया है।" अधिकारी ने कहा, "हमें पहले इंजन शुरू करना होगा, उसे चालू करना होगा और फिर आगे बढ़ना होगा।"
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