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कलकत्ता उच्च न्यायालय ने पश्चिम बंगाल सरकार को निर्देश दिया है कि वह बीरभूम जिले के रामपुरहाट में आगजनी की घटना पर 24 घंटे के भीतर एक स्टेटस रिपोर्ट दे। इसके साथ ही सरकार को गवाहों को सुरक्षा देने और सीसीटीवी लगाने का निर्देश भी दिया गया है।
बीरभूम ज़िले में हिंसा में आठ लोगों की हत्या ने राजनीतिक तूफान खड़ा कर दिया है। सोमवार शाम रामपुरहाट में टीएमसी से जुड़े एक उप प्रधान भादू शेख की हत्या के कुछ घंटे बाद बोगटुई गांव में आठ घरों पर हमला किया गया और आग लगा दी गई थी। इसमें महिलाओं और बच्चों सहित आठ लोगों की मौत हो गई। इस घटना को लेकर पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार चौतरफा घिरी हुई है।
इस बीच उच्च न्यायालय ने बीरभूम में हुई हिंसा का स्वत: संज्ञान लिया है। इस मामले में सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने इलाक़े में सीसीटीवी कैमरे लगाने के आदेश दिए हैं। यह भी कहा गया है कि दिल्ली में केंद्रीय फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला से एक टीम आगजनी की घटना के दृश्य से नमूने एकत्र करने के लिए भेजी जाएगी।
अदालत की पीठ ने कहा, 'कोई सबूत नष्ट न होने दें। जिला अदालत और राज्य के डीजीपी को हर ग्रामीण और गवाहों की सुरक्षा सुनिश्चित करनी होगी। यदि कोई पोस्टमार्टम लंबित है, तो उसकी वीडियोग्राफी करनी होगी।' मुख्य न्यायाधीश प्रकाश श्रीवास्तव और न्यायमूर्ति राजर्षि भारद्वाज की पीठ ने सुनवाई की।
पश्चिम बंगाल सरकार ने घटना की जाँच के लिए अतिरिक्त महानिदेशक (सीआईडी) ज्ञानवंत सिंह की अध्यक्षता में एक विशेष जांच दल यानी एसआईटी का गठन किया है। इस मामले में अब तक 22 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है।
इस घटना ने पश्चिम बंगाल में राजनीतिक तूफान खड़ा कर दिया है। विपक्ष ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के इस्तीफे की मांग की और राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग की। टीएमसी ने घटना में किसी भी तरह की संलिप्तता से इनकार किया है।
बीजेपी ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस के खिलाफ अपना पक्ष रखते हुए दावा किया है कि यह बंगाल में राजनीतिक हत्याओं की लंबी सूची में सबसे ताजा है। पार्टी ने ममता बनर्जी के इस्तीफे और केंद्रीय एजेंसियों से जांच कराने की मांग की है।
हुगली से बीजेपी सांसद लॉकेट चटर्जी ने दावा किया है कि आगजनी में लगभग 20 लोग मारे गए हैं, 'लेकिन वास्तविक संख्या किसी को नहीं पता क्योंकि बीरभूम में किसी को प्रवेश करने की अनुमति नहीं है।'
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