जर्मनी में मोदी को चांसलर के साथ प्रेस कॉन्फ़्रेंस करनी थी । मोदी के कहने पर सवाल पूछने की इजाज़त नहीं दी गई । क्यों ? क्या उन्हें पत्रकारों के सवालों से डर लगता है या फिर सत्ता का ग़ुरूर है ? क्या ये लोकतंत्र की तौहीन नहीं है या जवाबदेही से बचने की कोशिश ?
पत्रकारिता में एक लंबी पारी और राजनीति में 20-20 खेलने के बाद आशुतोष पिछले दिनों पत्रकारिता में लौट आए हैं। समाचार पत्रों में लिखी उनकी टिप्पणियाँ 'मुखौटे का राजधर्म' नामक संग्रह से प्रकाशित हो चुका है। उनकी अन्य प्रकाशित पुस्तकों में अन्ना आंदोलन पर भी लिखी एक किताब भी है।