जजों की नियुक्ति पर बवाल । क़ानून मंत्री के लगातार बयानों पर सुप्रीम कोर्ट ने चुप्पी तोड़ी । कहाँ ऊँचे पदों पर बैठे लोगों को ऐसा नहीं कहना चाहिये । सरकार और कोर्ट में बवाल क्यों ? आशुतोष के साथ चर्चा विनोद शर्मा, आशीष खेतान, विराज गुप्ता, फ़िरदौस मिर्ज़ा और अशोक बागड़िया ।
पत्रकारिता में एक लंबी पारी और राजनीति में 20-20 खेलने के बाद आशुतोष पिछले दिनों पत्रकारिता में लौट आए हैं। समाचार पत्रों में लिखी उनकी टिप्पणियाँ 'मुखौटे का राजधर्म' नामक संग्रह से प्रकाशित हो चुका है। उनकी अन्य प्रकाशित पुस्तकों में अन्ना आंदोलन पर भी लिखी एक किताब भी है।