संसद स्थगित हो गई । एक महीने के बाद फिर बैठेगी । लेकिन ये सत्र अड़ानी मसले पर सरकार और विपक्ष के बीच घमासान के तौर पर याद रखा जायेगा । एक सवाल क्या विपक्ष को बोलने भी नहीं दिया जायेगा ? क्यों राहुल और खडगे के भाषण के अंश को हटाया गया ? तो क्या सरकार और विपक्षों बीच पूरी तरह से संबंध विच्छेद हो गया है और क्या ये लोकतंत्र के लिये सही है ? आशुतोष के साथ चर्चा में गौतम लाहिड़ी, विनय तिवारी, अ
पत्रकारिता में एक लंबी पारी और राजनीति में 20-20 खेलने के बाद आशुतोष पिछले दिनों पत्रकारिता में लौट आए हैं। समाचार पत्रों में लिखी उनकी टिप्पणियाँ 'मुखौटे का राजधर्म' नामक संग्रह से प्रकाशित हो चुका है। उनकी अन्य प्रकाशित पुस्तकों में अन्ना आंदोलन पर भी लिखी एक किताब भी है।