त्रिपुरा, मेघालय और नगालैंड में कोई आश्चर्य नहीं। नतीजे उम्मीद के मुताबिक ही आए। लेकिन क्या इन नतीजों में कोई संदेश छिपा है? क्या कह रहे हैं इन तीन राज्यों के चुनाव नतीजे? और क्या उपचुनावों को भी समझने की जरूरत है? आलोक जोशी के साथ कार्तिकेय बत्रा।
पत्रकारिता में एक लंबी पारी और राजनीति में 20-20 खेलने के बाद आशुतोष पिछले दिनों पत्रकारिता में लौट आए हैं। समाचार पत्रों में लिखी उनकी टिप्पणियाँ 'मुखौटे का राजधर्म' नामक संग्रह से प्रकाशित हो चुका है। उनकी अन्य प्रकाशित पुस्तकों में अन्ना आंदोलन पर भी लिखी एक किताब भी है।