जस्टिस चंद्रचूड़ से देश को काफ़ी उम्मीदें थी । लेकिन रिटायर होते होते वो सबसे बड़ी निराशा में तब्दील हो गये ? ऐसा क्यों हुआ और कैसे हुआ ? क्या वो सरकार के दबाव में आ गये ? क्या वो पहले CJI थे जो मीडिया को मनमुताबिक इस्तेमाल कर पाये और फिर उसी के शिकार हो गये ? आशुतोष के साथ चर्चा में अरुण त्रिपाठी, अशोक बागड़िया और महमूद आबिदी ।
पत्रकारिता में एक लंबी पारी और राजनीति में 20-20 खेलने के बाद आशुतोष पिछले दिनों पत्रकारिता में लौट आए हैं। समाचार पत्रों में लिखी उनकी टिप्पणियाँ 'मुखौटे का राजधर्म' नामक संग्रह से प्रकाशित हो चुका है। उनकी अन्य प्रकाशित पुस्तकों में अन्ना आंदोलन पर भी लिखी एक किताब भी है।