चुनाव आयोग की साख दांव पर है । सांप्रदायिक प्रचार पर आँखें मूंदे बैठा है । खुलेआम बाटने काटने की बात हो रही है लेकिन कहीं कोई जुंबिश नहीं । क्यों आयोग के हाथ बंध गये हैं और क्यों वो कोई कार्रवाई नहीं करता ? आशुतोष के साथ चर्चा में विनोद शर्मा, फ़िरदौस मिर्ज़ा, संदीप सोनवलकर और अफ़रीदा रहमान अली ।
पत्रकारिता में एक लंबी पारी और राजनीति में 20-20 खेलने के बाद आशुतोष पिछले दिनों पत्रकारिता में लौट आए हैं। समाचार पत्रों में लिखी उनकी टिप्पणियाँ 'मुखौटे का राजधर्म' नामक संग्रह से प्रकाशित हो चुका है। उनकी अन्य प्रकाशित पुस्तकों में अन्ना आंदोलन पर भी लिखी एक किताब भी है।