मुरादाबाद, इंदौर और तब्लीग़ के बहाने मुसलमानों पर निशाना क्या सही है? और क्या रासुका लगा कर मज़हबी पागलपन पर क़ाबू पाया जा सकता है? आशुतोष के साथ चर्चा में - ज़फ़र सरेसवाला, पूर्व डीजीपी विक्रम सिंह और आलोक जोशी।
पत्रकारिता में एक लंबी पारी और राजनीति में 20-20 खेलने के बाद आशुतोष पिछले दिनों पत्रकारिता में लौट आए हैं। समाचार पत्रों में लिखी उनकी टिप्पणियाँ 'मुखौटे का राजधर्म' नामक संग्रह से प्रकाशित हो चुका है। उनकी अन्य प्रकाशित पुस्तकों में अन्ना आंदोलन पर भी लिखी एक किताब भी है।