लोकसभा में अपेक्षाकृत अच्छा-खासा प्रदर्शन करने के बाद हुए हरियाणा और अभी महाराष्ट्र के विधानसभा चुनावों में फजीहत करा चुकी कांग्रेस की कुछ मुसीबतें तो खुद की बनाई हुई हैं। कांग्रेस की मुश्किल यह है कि वह बहुत लंबे समय तक केंद्र और राज्यों की सत्ता में रही है, लिहाजा अब भी उसके बहुत से नेताओं की मानसिकता सत्ता के दायरे से बाहर नहीं निकल सकी है। अपनी खोई जमीन तलाशती कांग्रेस को अतीत से सबक मिल सकता है। उसे पता होगा कि जब तक वह उत्तर प्रदेश में अपनी ज़मीन मजबूत नहीं करती दिल्ली तक उसका रास्ता मुश्किल बना रहेगा। यह वह राज्य है, जहां वह 35 सालों से सत्ता से बाहर है! यही वह प्रदेश भी है, जहां कांग्रेस ने एक समय सत्ता के हर तरह के प्रयोग भी किए, बहुत संभव है कि कांग्रेस की यूपी में आज की हालत के लिए ऐसे प्रयोग भी जिम्मेदार हों।
यूपी में 1967 में सत्ता गँवाने के बाद से कांग्रेस ने कोई सबक नहीं सीखा!
- विश्लेषण
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- 15 Dec, 2024

उत्तर प्रदेश में कांग्रेस साढ़े तीन दशकों से सत्ता से बाहर क्यों है? आख़िर किस वजह से वह ऐसी स्थिति में पहुँची है? क्या कांग्रेस द्वारा किए गए तरह-तरह के प्रयोग जिम्मेदार है? पढ़िए, एट द पावर, द हार्ट ऑफ पावर, चीफ मिनिस्टर्स ऑफ उत्तर प्रदेश में क्या दावा किया गया है।
पत्रकार श्यामलाल यादव की देश के सबसे बड़े सूबे और इस नाते सबसे अहम सियासी प्रदेश उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्रियों पर केंद्रित ताजा किताब, एट द पावर, द हार्ट ऑफ पावर, चीफ मिनिस्टर्स ऑफ उत्तर प्रदेश, ऐसे ही कई घटनाक्रमों से परदा उठाती है, जो भाजपा के 'कांग्रेस मुक्त भारत' के सियासी नारे में कहीं दफन हो गए हैं।