प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने झारखंड और महाराष्ट्र के विधानसभा चुनावों के ऐन बीच में जिस तरह से आदिवासी नायक भगवान बिरसा मुंडा को उनकी 150 वीं जयंती पर याद किया है, उसे आदिवासी वोटरों को लुभाने की एक कवायद की तरह देखा जा सकता है। 2014 में सत्ता में आने के बाद से मोदी लगातार यह दावा करते आए हैं कि देश में जो कुछ भी अच्छा हो रहा है, वह उनके प्रधानमंत्री बनने के बाद से है। उनकी पूरी मशीनरी यह नया कथानक बनाने में जुटी रहती है और इसका चुनावी लाभ भी भाजपा को मिला है। स्थानीय नायकों का स्मरण इसी रणनीति का हिस्सा है। और ऐसा करते हुए मोदी सहित समूची भाजपा प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को कठघरे में खड़ा करती है कि उनकी सरकार के समय से ही ऐसे नायकों की उपेक्षा की गई। मगर शायद प्रधानमंत्री मोदी की टीम ने उन्हें याद नहीं दिलाया कि झारखंड के एक और आदिवासी नायक ने राष्ट्र निर्माण की प्रक्रिया में पंडित नेहरू का खुलकर समर्थन किया था। यह थे, जयपाल सिंह मुंडा, जिन्होंने संविधान सभा की बैठकों में आदिवासियों के मुद्दों को पुरजोर तरीके से उठाया था।