जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्र संघ के हालिया चुनाव में ABVP द्वारा सेंट्रल पैनल की एक सीट जीतने के बाद ऐसी हवा बनाई जा रही है मानो इस साल क़िले में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने कोई बहुत बड़ी सेंध लगा ली हो। यूनिवर्सिटी में जैसे कोई भगवा लहर चल निकली हो। सच्चाई इसके उलट है। सच्चाई यह है कि इन चुनावों में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद का असर बढ़ना तो दूर, पहले से बहुत अधिक घटा है।

पहले कुछ मोटी-मोटी बात। यह पहली बार नहीं है कि ABVP का कोई उम्मीदवार सेंट्रल पैनल में आया हो। 2015-16 में ABVP के कैंडिडेट ने जॉइंट सेक्रेटरी की सीट जीती थी। यही नहीं, 2000-2001 में संदीप महापात्र ने JNUSU के अध्यक्ष पद का चुनाव जीता था। सो ऐसा कुछ नहीं जो ऐतिहासिक हो या पहली बार हुआ हो।