उत्तर प्रदेश सरकार ने महंत नरेंद्र गिरि की मौत की सीबीआई जांच की सिफ़ारिश की है। दो दिन पहले ही इस मामले में उच्च स्तरीय जांच की मांगों के बीच योगी आदित्यनाथ ने कहा था कि दोषी बख्शा नहीं जाएगा। तथाकथित सुसाइड नोट मिलने के बाद उनके क़रीबी शिष्य को भी गिरफ़्तार किया गया है। नरेंद्र गिरि की मौत से जुड़े एक के बाद एक कई खुलासे से रहस्य गहराता जा रहा है। इस पर विपक्षी दलों ने दबाव बनाया है और इसी बीच योगी सरकार का यह नया फ़ैसला आया है।
राज्य के गृह विभाग ने ट्वीट कर कहा है कि महंत नरेंद्र गिरि की दुखद मौत को लेकर केंद्रीय जांच एजेंसी से जाँच कराने का फ़ैसला लिया गया है।
प्रयागराज में अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महन्त नरेन्द्र गिरि जी की दुःखद मृत्यु से जुड़े प्रकरण की मा. मुख्यमंत्री जी के आदेश पर सी.बी.आई. से जाँच कराने की संस्तुति की गई l
— HOME DEPARTMENT UP (@homeupgov) September 22, 2021
यूपी सरकार का यह फ़ैसला तब आया है जब जब राज्य की पुलिस ने नरेंद्र गिरि के क़रीबी शिष्य रहे आनंद गिरि को गिरफ्तार कर लिया है। यह आरोप लगाया गया है कि आनंद गिरि उनको परेशान कर रहे थे जिससे नरेंद्र गिरि ने कथित तौर पर आत्महत्या कर ली। बता दें कि महंत नरेंद्र गिरि सोमवार को प्रयागराज में मृत पाए गए थे। वह भारत में साधुओं के सबसे बड़े संगठन अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष थे। घटना की जगह से कथित तौर पर एक सुसाइड नोट भी मिला है और उसमें आनंद गिरि का ज़िक्र है।
इस मामले में राज्य की पुलिस ने घटना की जाँच के लिए 18 सदस्यीय विशेष जाँच दल का भी गठन किया।
विपक्षी नेता इस घटना को लेकर सरकार पर दबाव बना रहे हैं। इस मामले में समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने नरेंद्र गिरी की मौत की उच्च न्यायालय के मौजूदा न्यायाधीश से न्यायिक जांच कराने की मांग की थी। शिवसेना नेता संजय राउत ने कहा था कि उत्तर प्रदेश में हिंदुत्व का गला घोंट दिया गया है। उन्होंने महंत नरेंद्र गिरी की मौत की सीबीआई जांच की मांग की थी।
कांग्रेस ने भी ऐसी ही जांच की मांग की थी। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व सांसद प्रमोद तिवारी ने राज्य पार्टी प्रमुख अजय कुमार लल्लू के साथ एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, 'तथ्यों को दबाने का अपराध' किसी भी क़ीमत पर स्वीकार नहीं किया जाएगा।
तिवारी ने कहा, 'क्यों, कैसे और किसके दबाव में पुलिस ने पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के बिना इसे आत्महत्या करार दिया? कांग्रेस को चिंता है कि किसी अन्य साधु या संन्यासी को नहीं मारा जाना चाहिए। वायरल हो रहे वीडियो को भी जाँच में शामिल किया जाना चाहिए। महंत जी और उपमुख्यमंत्री के बीच क्या बातचीत हुई, जो घटना से एक दिन पहले उनसे मिले थे? यह भी जांच का विषय होना चाहिए। अगर उन्होंने आत्महत्या भी की, तो इतना कठोर क़दम उठाने के लिए किस चीज ने उन्हें मजबूर किया?'
तिवारी ने यह भी कहा कि यह भी पता लगाया जाना चाहिए कि हजारों करोड़ की मठ की संपत्ति पर किसकी नज़र थी। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट या हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच की देखरेख में सीबीआई द्वारा मामले की जांच कराने पर ही सच्चाई सामने आएगी।
कांग्रेस नेताओं ने आरोप लगाया कि योगी आदित्यनाथ सरकार के कार्यकाल में 21 संतों की संदिग्ध परिस्थितियों में हत्या हुई है या उनकी मौत हुई है।
इस बीच योगी आदित्यनाथ ने मंगलवार को कहा था कि दोषी बख्शा नहीं जाएगा। उन्होंने पत्रकारों से कहा था कि पुलिस ने कई सबूत इकट्ठा किए हैं, पुलिस की एक टीम, एडीजी जोन, आईजी रेंज और डीआईजी प्रयागराज, मंडल आयुक्त प्रयागराज एक साथ मिलकर इसकी जाँच में लगे हैं।
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