कभी पूरब का मैनचेस्टर रहा कानपुर एके-47 की आवाज़ से तड़तड़ा उठा है। अपराध के व्यवसाय में फ़िर से ग्लैमर का तड़का लग गया है। पुलिस के आठ जवान पचास हज़ार के इनामी शातिर अपराधी विकास दुबे के साथ असली मुठभेड़ में जान गंवा बैठे हैं। इनमें सीओ देवेंद्र मिश्र, थाना शिवराजपुर प्रभारी महेश यादव, मंधाना चौकी प्रभारी अनूप कुमार, कांस्टेबल सुल्तान सिंह, राहुल, बबलू कुमार और जितेंद्र शामिल हैं। ऐसी घटना अपराध की दुनिया में बरसों तक याद रखी जाती है।
योगी आदित्यनाथ के अपराध मुक्त यूपी के वादे का क्या हुआ?
- उत्तर प्रदेश
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- 6 Jul, 2020

राम राज का दावा करने वाली योगी सरकार के राज में राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो की 2019 की एक रिपोर्ट के अनुसार तीन लाख एफ़आईआर के साथ अपराध में यह देश का सिरमौर राज्य है।
आसपास के इलाक़े में तगड़ी राजनीतिक पकड़ रखने वाला विकास दुबे कानपुर देहात स्थित अपने गांव बिकरू में मौजूद था। पुलिस ने तीन थानों के दल-बल के साथ उसके घर पर धावा बोल दिया। पुलिस को सुनियोजित जवाबी हमले की उम्मीद नहीं थी। परिणाम स्वरूप पुलिस के आठ जवान शहीद हो गए।