योगी मंत्रिमंडल में फेरबदल उत्तर प्रदेश विधानसभा के हाल ही में होने वाले 13 उपचुनावों और ढाई साल बाद होने वाले आम चुनावों को देखकर लिया गया है, ताकि पार्टी इसका ज़्यादा से ज़्यादा फ़ायदा उठा सके।
अमित शाह का वीटो
योगी मंत्रीमंडल में अपने खराब प्रदर्शन और छवि के साथ ही कार्यकर्त्ताओं की नाराज़गी का कारण बने कई मंत्रियों के हटाए जाने की जब-तब चर्चा चलती रहती थी। ख़ुद मुख्यमंत्री योगी ने कई मौकों पर इसके संकेत भी दिए थे।
भाजपा के वरिष्ठ नेताओं का कहना है कि हटाए जाने या इस्तीफा माँगने से पहले मंत्रियों के कामकाज को लेकर एक रिपोर्ट तैयार की गयी, जिसे केंद्रीय नेतृत्व के पास भेजा गया।
इसी रिपोर्ट के आधार पर संघ के साथ विचार कर हटाए जाने वाले नामों पर अंतिम फ़ैसला लिया गया है। जिन मंत्रियों को हटाए जाने पर अंतिम फ़ैसला लिया गया है उनमें वित्त मंत्री राजेश अग्रवाल, खेल मंत्री चेतन चौहान, बेसिक शिक्षा मंत्री अनुपमा जायसवाल, अर्चना पांडे सहित कई नाम शामिल हैं। ख़बर है कि आखिर तक कई मंत्री हटने वालों की सूची से अपना नाम कटवाने में जुटे हुए हैं।
जातीय, क्षेत्रीय समीकरण
भाजपा प्रदेश नेताओं का कहना है कि मंत्रिमंडल विस्तार में जातीय और क्षेत्रीय संतुलन का पूरा ख्याल रखा जाएगा। पश्चिम से गुर्जर समाज, पूर्व से दलित समाज के प्रतिनिधि को मौका मिल सकता है, जबकि दो-तीन ब्राह्मण मंत्रियों की जगह खाली होने पर इस बिरादरी के नेता को भी शामिल किया जा सकता है। ठाकुर बिरादरी से उदयभान सिंह और राजनाथ सिंह के बेटे पंकज सिंह का नाम भी चर्चा में है। वैश्य बिरादरी से मुजफ्फरनगर के विधायक कपिलदेव अग्रवाल का नाम तो दलित समाज से विद्यासागर सोनकर और दल बहादुर कोरी का नाम लिया जा रहा है।
विधान परिषद सदस्य अशोक कटारिया, विजय बहादुर पाठक का नाम भी संभावितों की सूची में है। कानपुर से विधायक नीलिमा कटियार और अलीगढ़ से संजीव राजा के नामों पर सहमति बनने की ख़बर है। पंकज सिंह राजनाथ सिंह के बेटे हैं तो नीलिमा कटियार कद्दावर भाजपा नेता रहीं प्रेमलता कटियार के परिवार की हैं। बुलंदशहर के शिकारपुर से विधायक अनिल शर्मा भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व के क़रीबियों में से एक हैं। इनके अलावा नए नामों में मेजर सुनीलदत्त दुबे, संजय यादव, उमेश मलिक, कृष्णा पासवान, रानी पक्षालिका सिंह की भी चर्चा है।
एक और डिप्टी सीएम
भाजपा और संघ से जुड़े लोगों का कहना है कि जातीय समीकरण साधने की दृष्टि से उत्तर प्रदेश में एक और डिप्टी सीएम बनाया जा सकता है। नया डिप्टी सीएम दलित समुदाय से हो सकता है। इसके लिए विद्यासागर सोनकर का नाम सबसे आगे चल रहा है। फ़िलहाल उत्तर प्रदेश में दिनेश शर्मा और केशव प्रसाद मौर्य दो डिप्टी सीएम हैं।
लोकसभा चुनावों के बाद मायावती की तेजी को देखते हुए और ग़ैर जाटव दलित जातियों में भाजपा के मिले समर्थन को देखते हुए ग़ैर-जाटव दलितों में से किसी को डिप्टी सीएम बनाया जा सकता है।
अपना दल को मौक़ा?
ओमप्रकाश राजभर की सुभासपा से संबंध खत्म होने के बाद अब मंत्रिमंडल विस्तार में अकेले मौका अनुप्रिया पटेल की अपना दल को मिल सकता है। अपना दल के अध्यक्ष और अनुप्रिया के पति आशीष पटेल का नाम विस्तार में पक्का माना जा रहा है। पिछली मोदी सरकार मे केंद्रीय मंत्री रही अनुप्रिया पटेल को इस बार जगह नहीं मिली, जिसके बाद उनके पति आशीष पटेल के योगी मंत्रिमंडल में शामिल होने की पूरी संभावना है।
ओमप्रकाश राजभर को योगी मंत्रिमंडल से बाहर किए जाने के बाद भाजपा कोटे से राज्यमंत्री अनिल राजभर को प्रमोशन दिए जाने की ख़बर है। अनिल राजभर को राजभर बिरादरी को साधने के लिए महत्व दिया जा सकता है। उन्हें पहले ही ओमप्रकाश राजभर के विभाग दिए जा चुके हैं। अनिल भाजपा विधायक दल में राजभर बिरादरी के इकलौते विधायक हैं।
कई राज्यमंत्रियों का हो सकता है प्रमोशन
बेहतर प्रदर्शन और जातीय समीकरण साधने के लिए कई राज्यमंत्रियों को प्रोन्नत कर कैबिनेट का दर्जा दिया जा सकता है। जिन राज्य मंत्रियों की लॉटरी लगने की उम्मीद है उनमें ग्रामीण विकास राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार महेंद्र सिंह, गन्ना विकास मंत्री सुरेश राणा, अनिल राजभर और उपेंद्र तिवारी शामिल हैं। इसके अलावा आयुष राज्यमंत्री धर्म सिंह सैनी को भी बुधवार को कैबिनेट मंत्री की शपथ दिलायी जा सकती है। परिवहन राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार के पद से प्रदेश भाजपा अध्यक्ष स्वतंत्रदेव सिंह के इस्तीफ़ा देने के बाद इस विभाग को अब कैबिनेट मंत्री मिल सकती है। इसी तरह बेसिक शिक्षा राज्य़ मंत्री स्वतंत्र प्रभार अनुपमा जायसवाल के विभाग को भी नया कैबिनेट मंत्री मिल सकता है।
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