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विकास दुबे केस: पुलिस ने पहले घर गिराया, अब वहीं से हथियार बरामद दिखाया

कानपुर के बिकरू गाँव में आठ पुलिस वालों की हत्या करने वाले विकास दुबे और उसके पाँच साथियों के एनकाउंटर के बाद भी यूपी पुलिस लगातार सवालों के घेरे में आ रही है। पुलिस ने बिकरू गाँव में लूटे गए हथियार बरामद करने का दावा किया और इस पर भी सवाल खड़े हो गए। इससे ठीक एक दिन पहले पुलिस ने मुंबई में पकड़े गए विकास के दो साथियों को वारदात में शामिल न होने की बात कहते हुए क्लीनचिट दी थी और सवाल खड़े होते ही उन्हें फिर से वांछित बताते हुए रिमांड पर ले लिया।

विकास दुबे के एक अहम साथी अमर दुबे को पुलिस ने मुठभेड़ में मार गिराया था और उसकी 9 दिन की ब्याहता खुशी को साज़िश में शामिल बता जेल भेज दिया था। काफ़ी थू-थू के बाद पुलिस ने उसे भी क्लीनचिट देते हुए अब उसकी रिहाई की पैरवी शुरू कर दी है। बिकरू कांड के बाद पुलिस के ज़्यादातर एनकाउंटर, यहाँ तक कि विकास का भी, संदेह के घेरे में हैं। प्रदेश सरकार ने तमाम आरोप लगने के बाद इलाहाबाद उच्च न्यायालय के रिटायर्ड जस्टिस शशिकांत अग्रवाल की अध्यक्षता में जाँच कमेटी गठित कर दी है। इससे पहले योगी सरकार ने वरिष्ठ आईएएस अधिकारी संजय भूसरेड्डी की अध्यक्षता में एक तीन सदस्यीय एसआईटी गठित कर उसे 31 जुलाई तक मामले की रिपोर्ट देने को कहा है।

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ढहे हुए घर से बरामद दिखाए हथियार

मंगलवार को यूपी पुलिस के अतिरिक्त महानिदेशक (एडीजी) क़ानून-व्यवस्था प्रशांत कुमार ने कानपुर पुलिस लाइंस जाकर प्रेस कॉन्फ़्रेंस की और बताया कि बिकरू कांड में इनामी आरोपी शशिकांत पांडेय को गिरफ्तार कर लिया गया है। शशिकांत पांडेय के पिता प्रेम नारायण पांडेय को पुलिस ने हत्याकांड के कुछ ही घंटों के भीतर बिकरू गाँव में ही मार गिराया था। प्रशांत कुमार ने बताया कि पांडेय की जानकारी पर पुलिस का लूटा असलहा बरामद किया गया है। उन्होंने बताया कि दुर्दान्त विकास दुबे के घर से एके-47 और शशिकांत पांडेय के घर से इंसास रायफल मिली है। उन्होंने इसे पुलिस की बड़ी सफलता बताया है। हैरत की बात है कि एके-47 रायफल विकास दुबे के उसी घर से मिली है जिसे वारदात के अगले दिन पुलिस ने बुलडोजर चला कर गिरा दिया था।

उक्त घर में विकास की लक्जरी गाड़ियों सहित सारा सामान दबकर तहत नहस हो गया था। पुलिस ने उस घर को गिराने के पीछे वहाँ हथियारों व गोला-बारूद का छिपा होना बताया था। हालाँकि तब पुलिस ने केवल कुछ देसी बम और चंद ज़िंदा कारतूस की बरामदगी ही दिखाई थी।

पुलिस की कहानी पर उठे सवाल

कानपुर कांड को लेकर हुई एडीजी की प्रेस कॉन्फ़्रेंस में पुलिस की भूमिका को लेकर कई सवाल खड़े हुए हैं। पहला सवाल तो यही है कि जिस विकास दुबे के घर को पुलिस ने जमींदोज कर दिया उसमें एके-47 रायफल कहाँ छुपाई गई थी। जबकि पुलिस ने हथियारों की तलाश में दीवारें तक खोद देने का दावा किया था। इसके अलावा प्रेस कॉन्फ़्रेंस में मौजूद अफ़सरों को नहीं पता था कि गिरफ्तार शशिकांत ने भी इंसास कहाँ छिपाई थी। गिरफ्तार शशिकांत विकास दुबे के कथित मामा प्रेम कुमार पांडेय का बेटा है। उसी प्रेम कुमार पांडेय को कानपुर पुलिस ने वारदात के बाद एनकाउंटर में ढेर किया था। 

शशिकांत का घर बिकरू गाँव में विकास के ठीक बगल में है जहाँ पुलिस ने वारदात के बाद जमकर तालाशी ली थी। अब पुलिस जवाब नहीं दे पा रही है कि शशिकांत के दो कमरे के घर में कहाँ से इंसास राइफल बरामद हो गई।
हालाँकि शशिकांत के घर के सामने ही एसआईटी भी गई और जाँच आयोग भी गया था। इसके अलावा उसी घर में तलाशी के लिए एसओजी, डॉग स्क्वायड, एसटीएफ़ व फॉरेन्सिक टीम भी गई।

छेद ही छेद हैं पुलिस की कहानी में

हथियारों की जिस तरह से बरामदगी दिखाई गयी है उससे साफ़ है कि पुलिस जाँच करने में पूरी तरह फ़ेल है या फिर बचने के लिए पूरी व्यवस्था करने में जुटी हुई है। घटनास्थल पर दर्जनों बार पुलिस के अधिकारी गए और तमाम बार छानबीन भी हुई तब इंसास रायफल कहाँ छुपाई गई थी इसका पता कैसे नहीं चला। जबकि वारदात के दौरान शशिकांत के ही आंगन में देवेंद्र कुमार मिश्रा की हत्या हुई थी। यह भी सवाल है कि घर गिराये जाने के पहले या बाद पुलिस ने घर की ढंग से तलाशी क्यों नहीं ली? ख़ुद पुलिस ने ही बताया था कि घर गिराने के बाद वहाँ से कट्टे, बम बरामद किये थे, तब कैसे एके-47 नहीं मिली और अब कैसे किश्तों में बरामदगी हो रही है।

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मुंबई में पकड़े गए आरोपियों पर गफलत

मुंबई में एटीएस ने एनकाउंटर स्पेशलिस्ट दया नायक के नेतृत्व में विकास के साथियों अरविंद त्रिवेदी उर्फ़ गुड्डन त्रिवेदी के साथ ड्राईवर सोनू को गिरफ्तार किया था। बिकरू कांड के बाद विकास के साथियों की तसवीर जारी करते हुए यूपी पुलिस ने गुड्डन त्रिवेदी को वारदात में शामिल बताते हुए ईनाम भी रखा था। हालाँकि मुंबई पुलिस की गिरफ्तारी के कुछ ही घंटों के बाद कानपुर पुलिस ने दावा किया कि गुड्डन त्रिवेदी वारदात में शामिल नहीं था और उसकी उन्हें तलाश ही नहीं है।

इस मामले पर खासी थू-थू होने के 24 घंटे के भीतर कानपुर पुलिस ने अपना रुख फिर बदला और उसे वांछित बता दिया। कानपुर पुलिस को गुड्डन की चार दिन की रिमांड मिली है। विकास एनकाउंटर के बाद गुड्डन ने अदालत से ख़ुद को हवाई जहाज से ले जाने की अर्जी दी जिसे मंजूर किया गया।

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कुमार तथागत
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