विपक्षी नेताओं पर दाऊद इब्राहिम और उसके ख़ास आदमी इक़बाल मिर्ची से संबंध रखने का आरोप लगाने वाली बीजेपी की योगी सरकार ने यूपी में इनकी सहयोगी डिफ़ॉल्टर कंपनी डीएचएफ़एल (दीवान हाउसिंग फ़ाइनेंस लिमिटेड) में सरकारी कर्मचारियों के जीवनभर की पूंजी (पीएफ़) का पैसा फंसा दिया है।
प्रदेश की सरकारी बिजली कंपनियों के हजारों कर्मचारियों के पीएफ़ का लगभग 1550 करोड़ रुपये विवादित कंपनी डीएचएफ़एल में डूब गया है। डीएचएफ़एल में पीएफ़ का पैसा निवेश करने का फ़ैसला योगी सरकार बनने के तुरंत बाद हुआ और जब कंपनी डिफ़ॉल्टर हो गयी तब सरकार की आंख खुली है। अब लीपापोती करते हुए प्रदेश सरकार ने बिजली कर्मचारियों का पीएफ़ प्रंबधन करने वाले यूपी पावर सेक्टर इम्प्लॉईज ट्रस्ट के महाप्रबंधक पीके गुप्ता को निलंबित कर मामले की सतर्कता जांच के आदेश दिए हैं।
बिजली कर्मचारियों के पीएफ़ के पैसे के जल्दी मिलने के आसार नहीं हैं। डिफ़ॉल्टर कंपनी में पैसा निवेश करने को आतुर ऊर्जा विभाग के आला अधिकारियों ने सरकारी बैंकों को अनदेखा कर दिया। ‘सत्य हिन्दी’ के पास मौजूद कागजात बताते हैं कि जिन दिनों डीएचएफ़एल देश की नामी-गिरामी वित्तीय संस्थाओं को चूना लगाकर डिफ़ॉल्टर साबित हो रही थी, उसी समय ऊर्जा विभाग के बड़े अधिकारी वहां कर्मचारियों के पीएफ़ का पैसा लगा रहे थे।
प्रदेश में पावर कॉरपोरेशन, विद्युत उत्पादन निगम, जल विद्युत निगम, विद्युत पारेषण निगम सहित कई ऊर्जा कंपनियों के पीएफ़ के पैसे का संचालन करने वाली उत्तर प्रदेश स्टेट पावर सेक्टर इम्प्लॉईज ट्रस्ट ने डीएचएफ़एल की विभिन्न योजनाओं में मार्च 2017 से लेकर दिसंबर 2018 के बीच कुल 2631.20 करोड़ रुपये का निवेश किया था। इनमें से सितंबर तक ट्रस्ट को मूलधन में से 1185 करोड़ रुपये वापस मिल चुके हैं जबकि सावधि जमा में निवेश किए 1445.70 करोड़ रुपये का भुगतान नही हो सका है। इस धनराशि पर देय ब्याज के रूप में 151 करोड़ रुपये का भुगतान भी डीएचएफ़एल पर लंबित है।
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जारी रही डीएचएफ़एल पर मेहरबानी
हैरत की बात यह है कि ऊर्जा कंपनियों के पीएफ़ फ़ंड की ज्यादातर राशि डीएचएफ़एल में उस समय जमा की गयी जब इसके डिफ़ॉल्टर हो जाने की ख़बरें आम होने लगी थीं। पावर सेक्टर इम्प्लॉईज ट्रस्ट 2004-2005 तक ऊर्जा कंपनियों के जीपीएफ़ और उसके बाद से अब तक सीपीएफ़ का भी संचालन कर रहा है। उक्त ट्रस्ट के अध्यक्ष प्रमुख सचिव (ऊर्जा) आलोक कुमार खुद हैं जबकि सभी बिजली कंपनियों के प्रबंध निदेशक इसके ट्रस्टी हैं।
ट्रस्ट के निदेशक मंडल की बीते सप्ताह 25 अक्टूबर को हुई बैठक में सचिव आईएम कौशल की ओर से यह जानकारी दी गयी कि रिलायंस निप्पान लाइप एसेट मैनेजमेंट कंपनी की ओर से डीएचएफ़एल पर मुंबई उच्च न्यायालय में दायर एक वाद के संबंध में बीते 30 सितंबर को पारित आदेश के तहत सभी असुरक्षित कर्जदाताओं के भुगतान पर रोक लगा दी गयी है। ट्रस्ट की बैठक में रखे गए एजेंडे में बताया गया है कि डीएचएफ़एल से मिली जानकारी के मुताबिक़, मुंबई उच्च न्यायालय ने फिर से 10 अक्टूबर को पारित अपने आदेश में वाद के अंतिम निस्तारण होने तक सभी तरह के भुगतान पर रोक लगा दी है।
कर्मचारियों में ग़ुस्सा, सीबीआई जाँच की माँग
प्रदेश की ऊर्जा कंपनियों के हजारों कर्मचारियों के भविष्य निधि की रकम इस तरह से फंस जाने के बाद लोगों में ख़ासा ग़ुस्सा है। कर्मचारी संघ के नेताओं का कहना है कि उनके पीएफ़ का पैसा निवेश समिति के निर्णय के मुताबिक़ राष्ट्रीयकृत बैंकों में सावधि जमा के रुप में लगाया जाता था जिससे 9.30 से लेकर 10.20 फीसदी तक रिटर्न मिलता रहा था। साथ ही ब्याज के भुगतान पर कर कटौती भी नहीं होती थी।
कर्मचारी नेताओं का कहना है कि ट्रस्ट ने निवेश सलाहकारों की सेवायें लेकर अनाप-शनाप निवेश का फ़ैसला किया जिसका खामियाजा रिटायर होने वाले लोगों को भुगतना पड़ेगा। कर्मचारी नेताओं का कहना है कि प्रदेश सरकार विवादित कंपनी में पैसा लगाने वाले अधिकारियों पर कड़ी कारवाई करे और कर्मचारियों के पीएफ़ का पैसा सुरक्षित सरकारी बैंकों में जमा करे।
विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उप्र ने प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से माँग की है कि उप्र पावर सेक्टर इम्प्लॉयर्स ट्रस्ट में हुए अरबों रुपये के घोटाले की निष्पक्ष जाँच हेतु सारे प्रकरण की सीबीआई से जाँच कराई जाये और घोटाले में प्रथम दृष्टया दोषी पावर कॉर्पोरेशन प्रबंधन के आला अधिकारियों पर कठोर कार्रवाई की जाये।
डीएचएफ़एल के इक़बाल मिर्ची और दाऊद इब्राहिम से संबंधों की ख़बर पर गंभीर चिंता प्रकट करते हुए संघर्ष समिति ने इसे राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा मामला बताया है। समिति ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से माँग की है कि इस ख़ुलासे के बाद सीबीआई जाँच बहुत ज़रूरी हो गई है।
संघर्ष समिति ने यह भी माँग की है कि पावर सेक्टर इम्प्लॉयर्स ट्रस्ट का पुनर्गठन किया जाये और उसमें पूर्व की तरह कर्मचारियों के प्रतिनिधि को भी सम्मिलित किया जाये।
मंत्री ने बताया गंभीर मामला
ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा ने कहा है कि डीएचएफ़एल में कर्मचारियों की भविष्य निधि के निवेश का मामला गंभीर है। इसमें जो भी दोषी होगा उसके ख़िलाफ़ कड़ी कारवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि बिजली विभाग के सभी कर्मचारी उनके परिवार के सदस्य हैं और किसी का कोई अहित न हो, सरकार यह सुनिश्चित करेगी।
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