क्या बाग़पत की सरज़मीं बग़ावत के इतिहास को फिर से दोहराएगी? स्थानीय किसानों का तो यही दावा है। शाहमल के आह्वान पर मेरठ-बाग़पत क्षेत्र के 84 गाँवों के किसान अपना घर-गाँव छोड़ कर लड़ने चले गए थे। उन्होंने ब्रिटिश हुक़ूमत के ख़िलाफ़ बग़ावत की थी। वह 163 साल पुरानी इतिहास की गाथा थी। क्या सुदेशना राठी के आह्वान पर गांगनौली के किसान अपना गाँव छोड़ कर चले जाएंगे? क्या वे योगी आदित्यनाथ सरकार के ख़िलाफ़ नाराज़गी व्यक्त करना चाहते हैं? यह वर्तमान की रिपोर्ट है।