क्या फ़िल्म ‘उरी’ और ‘द एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर’ बीजेपी को यूपी में वोट दिलाएँगी? क्या योगी आदित्यनाथ ये दोनों फ़िल्में दिखाकर प्रियंका गाँधी और अखिलेश-मायावती के गठबंधन से पार पाने की तैयारी में हैं? कम से कम दोनों फ़िल्मों को लेकर पूरे उत्तर प्रदेश में चलाए जा रहे अभियान से तो ऐसे ही सवाल उठते हैं।
इसी सप्ताह बीजेपी विधायकों, मंत्रियों और राज्यपाल राम नाइक के साथ लखनऊ के नए सचिवालय लोकभवन के ऑडिटोरियम में सर्जिकल स्ट्राइक पर बनी फ़िल्म उरी को देखते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जमकर ताली पीटी। उन्होंने कहा कि प्रदेश में सभी को यह फ़िल्म दिखायी जानी चाहिए। हॉल में मौजूद रायबरेली और अमेठी के विधायकों को बुलाकर योगी ने कहा कि आप लोग अपने क्षेत्र की जनता को ‘द एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर’ दिखाइए। उन्होंने पूछा कि कितने लोगों ने संजय बारू की किताब पर बनी यह फ़िल्म देखी है। ज़्यादातर विधायकों का जवाब न में आने पर योगी ने कहा कि पहले ख़ुद इस फ़िल्म को देखें और फिर जनता को इसे दिखाएँ। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि आख़िर लोगों को और कम से कम यूपी की जनता को पता तो चले कि कैसे रिमोट कंट्रोल से सत्ता का संचालन इस देश में होता रहा।
मुख्यमंत्री ने सभी विधायकों से कहा कि जहाँ हॉल में देखना संभव न हो सके वहाँ जनता को एलईडी वैन लगाकर 'उरी' फ़िल्म दिखाई जाए। अब प्रदेश बीजेपी ज़्यादा से ज़्यादा लोगों को फ़िल्म दिखाने के लिए ज़िलों में निर्देश भेजेगी और इसके लिए व्यवस्था भी करेगी।
अमेठी-रायबरेली विशेष ज़ोर
‘द एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर’ का प्रदर्शन फ़िलहाल अमेठी-रायबरेली में किया जाएगा। प्रदेश बीजेपी नेताओं का कहना है कि प्रियंका गाँधी के उत्तर प्रदेश में चुनाव प्रचार शुरू करने से पहले द एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर को गाँधी परिवार की पुश्तैनी सीटों पर दिखाया जाएगा। साथ ही और भी कई क्षेत्रों में इसे पार्टी संसाधनों के साथ प्रदर्शित किया जाएगा।
- प्रदेश सरकार की मंशा आने वाले चुनावों में इन दोनों फ़िल्मों को चुनाव प्रचार के बड़े हथियार के तौर पर इस्तेमाल करने की है। उरी फ़िल्म को लेकर प्रदेश की योगी सरकार कितनी गंभीर है इसका पता इस बात से चलता है कि कुंभ में हाल ही में हुई प्रदेश कैबिनेट की बैठक में इसे टैक्स फ़्री किया गया और अगले ही दिन इसका शासनादेश जारी कर दिया गया।
सिनेमा हॉलों में दुबारा लगी फ़िल्म
प्रदेश सरकार की मंशा को जानते हुए टैक्स फ़्री होने के बाद प्रदेश के कई शहरों में सिनेमा हॉलों में उरी को फिर से लगा दिया गया है। पहली बार ऐसा भी हुआ कि किसी मुख्यमंत्री ने न केवल अपनी पूरी कैबिनेट बल्कि सभी विधायकों के साथ बैठकर पूरी फ़िल्म देखी। मुख्यमंत्री ने साथ फ़िल्म देखने के लिए राज्यपाल व विधानसभा अध्यक्ष से व्यक्तिगत तौर पर अनुरोध भी किया। तल्लीनता के साथ फ़िल्म देख रहे मुख्यमंत्री ने शो के बीच बातचीत करने वाले कई विधायकों को तरेरा भी।
दोनों फ़िल्मों पर ज़ोर क्यों?
'उरी' और 'द एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर' बीजेपी के लिए कई मायने में अहम हैं। उरी में जहाँ सर्जिकल स्ट्राइक को दिखाया गया है और मोदी सरकार के फ़ैसले की जमकर तारीफ़ की गई है वहीं प्रधानमंत्री को कड़े फ़ैसले लेने वाले के तौर पर पेश किया गया है। विपक्ष इस फ़िल्म को लेकर यह आरोप लगाता रहा है कि इस फ़िल्म को चुनावी प्रचार की रणनीति के तौर पर बनाया गया है।
- 'द एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर' पर काफ़ी विवाद हुआ। यह फ़िल्म पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के मीडिया सलाहकार रहे संजय बारू की किताब पर आधारित है। कांग्रेस आरोप लगाती रही है कि मनमोहन सिंह और कांग्रेस की इमेज को ख़राब करने के लिए तथ्यों को काफ़ी बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया गया है। कई राज्यों में कांग्रेस ने इस फ़िल्म के ख़िलाफ़ ज़बर्दस्त प्रदर्शन भी किया।
राजनीति के जानकार भी इस फ़िल्म में रखे गए कई तथ्यों को ग़लत बताते हैं। 2019 के लोकसभा चुनावों से ठीक पहले इस तरह की फ़िल्म के आने का राजनीतिक मतलब समझना मुश्किल नहीं है।
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