नागरिकता संशोधन क़ानून के ख़िलाफ़ उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में बैठीं महिलाओं का आंदोलन जारी है। उत्तर प्रदेश की पुलिस ने इस आंदोलन का समर्थन कर रहीं मशहूर शायर मुनव्वर राणा की दो बेटियों सुमैया और फौज़िया पर विभिन्न धाराओं में मुक़दमे दर्ज किये हैं। इसे लेकर अब मुनव्वर राणा ने पलटवार किया है।
लखनऊ में इस क़ानून के विरोध में धरना दे रहे 150 लोगों के ख़िलाफ़ पुलिस एफ़आईआर दर्ज कर चुकी है। इससे पहले लखनऊ पुलिस ने इन महिलाओं के कंबल छीन लिये थे और इसे लेकर लोगों ने सोशल मीडिया पर पुलिस को बहुत ट्रोल किया था। महिलाओं ने आरोप लगाया था कि पुलिस ने उनका खाना भी छीन लिया था।
जाने-माने शायर मुनव्वर राणा ने कहा, ‘यह हमेशा से होता आया है, जब कोई शाह या शहंशाह किसी शहर में आता है तो वहां के फ़क़ीर और उनके बेटे-बेटियों को बंद कर दिया जाता है।’
'डिटेंशन सेंटर में ही है मुसलमान'
जब एबीपी न्यूज़ के पत्रकार ने राणा से पूछा कि सरकार कह रही है कि यह क़ानून नागरिकता देने का है, इस बारे में राणा ने कहा, ‘मुसलमानों को आपने दिया क्या है। 1947 के बाद से ही मुसलमान डिटेंशन सेंटर में ही है और आज़ाद नहीं है।’ दूसरे देशों के अल्पसंख्यकों को नागरिकता देने में हर्ज क्या है, इस सवाल पर राणा ने कहा, ‘आप अपने अल्पसंख्यक को आप क़त्ल करवाते हैं, अपने अल्पसंख्यक को आप मुल्क से निकालने का रास्ता बनाते हैं। एक तरफ सरकार ‘सबका साथ सबका विकास’ का नारा लगाती है लेकिन दूसरी ओर उसने धरने पर बैठी महिलाओं के लिए शौचालय तक बंद कर दिया। जब मुसलमान को अलग कर दिया तो यह कैसा ‘सबका साथ सबका विकास’ हुआ।’ उन्होंने कहा कि गृह मंत्री को महिलाओं को भरोसा देना चाहिए था कि वह उनके साथ हैं।
राणा ने कहा, ‘ऐसा लगा कोई शाह नहीं आया, कोई हिटलर आ गया, उसने राणा की बेटियों को बंद कर दिया। लेकिन हमारे गृह मंत्री ख़ुशनसीब हैं कि मेरी बेटियां हैं, अगर बेटे होते तो वे भी धरने में खड़े होते।’
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