यूपी में एक महिला जज ने न्याय की गुहार लगाई है। यौन उत्पीड़न और न्याय नहीं मिलने से आहत महिला जज ने इच्छामृत्यु की मांग की है। उन्होंने इसके लिए सीजेआई को खुला ख़त लिखा है। ख़त दिल को झकझोरने वाला है। उन्होंने कहा है कि 'मैं चलती फिरती लाश हूँ'। उन्होंने लिखा है कि आत्महत्या का प्रयास भी विफल रहा। पूरी तरह निराश महिला जज ने तो यहाँ तक लिखा है कि 'कामकाजी महिलाएँ लड़ना छोड़ दें और खिलौने या फिर निर्जीव जीव की तरह जीना सीख लें'। इस खुले ख़त पर सीजेआई ने इलाहाबाद हाई कोर्ट से रिपोर्ट मांगी है।
महिला जज का वरिष्ठ पर यौन उत्पीड़न का आरोप- 'जिंदा लाश हूँ, मरने दें'
- उत्तर प्रदेश
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- 15 Dec, 2023
कार्य स्थल पर यौन उत्पीड़न का एक मामला और न्याय की गुहार झकझोरने वाला है। महिला जज को आख़िर सीजेआई को खुला खत लिखकर क्यों कहना पड़ा कि 'चलती-फिरती लाश हूँ, मरने की इजाजत दें'?

महिला जज द्वारा देश के मुख्य न्यायाधीश को लिखा खुला ख़त सोशल मीडिया पर साझा किया गया है। उन्होंने ख़त में छह महीने पहले अपनी पिछली पोस्टिंग में अपने वरिष्ठ जज पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया है। दो पन्नों के पत्र में उन्होंने लिखा है कि इच्छामृत्यु इसलिए मांगी है क्योंकि उन्हें निष्पक्ष जांच की कोई उम्मीद नहीं है, न्याय तो दूर की बात है।