पुलिस नियुक्तियों में पारदर्शिता लाने के नाम पर एक महत्वपूर्ण कदम में, उत्तर प्रदेश सरकार ने पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) के चयन को नियंत्रित करने वाले नए नियमों को मंजूरी दे दी है। योगी कैबिनेट ने सोमवार को हुई बैठक के दौरान नियुक्ति नियमावली, 2024 को मंजूरी दे दी गई। लेकिन इसकी सूचना मंगलवार 5 नवंबर को सामने आई।
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योगी आदित्यनाथ सरकार के इस फैसले के बाद केंद्र का अप्रत्यक्ष हस्तक्षेप इस मामले में खत्म हो गया। पहले नामों का पैनल यूपीएससी को भेजना पड़ता था। वहां से नाम तय होता था। यूपीएससी केंद्र के अधीन संस्था है।
इन नए नियमों के तहत, एक रिटायर्ड हाईकोर्ट के जज की अध्यक्षता वाली समिति चयन प्रक्रिया पूरी करेगी। यह बदलाव करते हुए कहा गया कि इन दिशानिर्देशों का मकसद यह तय करना है कि चयन प्रक्रिया राजनीतिक और कार्यकारी हस्तक्षेप से मुक्त रहे। अब संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) पैनल से नाम भेजने की शर्त को खत्म कर दिया गया है।
चयन पैनल में मुख्य सचिव, यूपीएससी का नामित व्यक्ति, उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष या नामित व्यक्ति, गृह विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव या प्रमुख सचिव और राज्य का कोई रिटायर्ड डीजीपी शामिल होगा। रिक्ति सृजन के समय उम्मीदवारों के पास कम से कम छह महीने की सेवा शेष होनी चाहिए। उसकी नियुक्ति दो वर्ष के लिए होगी।
Amit Shah wants to appoint his DGP and Yogi wants to appoint his DGP there (UP). I have never heard of any state govt passing that DGP's tenure will be for 2 yrs and will be done by the UP govt. This decision is because of fight between Yogi & Amit Shah pic.twitter.com/7xEkxVX8Zs
— AAP Ideology (@AapIdeology) November 5, 2024
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