उत्तर प्रदेश में बीजेपी की भारी जीत और मायावती की बीएसपी के पतन के बाद सबसे बड़ा सवाल तो सामाजिक न्याय की लड़ाई और दलित वोटों पर होगा। मायावती की तुलना अब यूपी में कांग्रेस से होने लगी है। बीएसपी का वोट घटकर 12 प्रतिशत तक आ गया है। उनका ज़्यादातर वोट खिसक कर बीजेपी के पास चला गया तो साफ़ है कि अब दलित वोट और उनके सामाजिक न्याय की लड़ाई सीधे कमजोर हो जायेगी।
मायावती के वोटर लाभार्थी बन गए, अगड़ी जाति की राजनीति लौटेगी?
- उत्तर प्रदेश
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- 11 Mar, 2022

यूपी में बीजेपी की जीत का असर क्या होगा? कांशीराम और मायावती ने जिन्हें आत्मसम्मान व सामाजिक न्याय जैसी अस्मिता दी थी, क्या वे अब 'लाभार्थी' बन गए? यदि ऐसा है तो अब कैसी राजनीति होगी?
चुनाव में बीएसपी का वोट खुद मायावती ने नहीं मांगा तो लगा कि शायद ये वोट सरकार के ख़िलाफ़ भी जा सकता है लेकिन चुनाव के अंतिम चरण आते-आते जिस तरह से गृहमंत्री अमित शाह ने बीएसपी की वकालत की उससे साफ़ हो गया कि दोनों की अंदर खाने मिलीभगत थी और बहन जी ने अपना वोट बैंक बीजेपी में जाने दिया। यही वजह रही कि बीजेपी का यूपी में वोट बैंक दो प्रतिशत तक बढ़ गया। जाहिर है अब ये वोट बैंक मायावती का नहीं रहेगा।