उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में उस निजी स्कूल को बंद कर दिया गया है जहाँ एक शिक्षिका ने अपनी कक्षा में बच्चों को एक-एक करके एक छात्र को मारने का निर्देश दिया था। शिक्षिका ने पीड़ित छात्र के मुस्लिम धर्म का हवाला दिया था, और मोहम्मडन बच्चों का ज़िक्र करते हुए अपमानजनक बातें की थीं। इसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद इस पर विवाद हुआ और कार्रवाई का दबाव बना।
इस स्कूल पर बेसिक शिक्षा अधिकारी ने कार्रवाई की है और फिलहाल उसे सील कर दिया है। जांच लंबित रहने तक स्कूल बंद करने का आदेश दिया गया है। इस संबंध में शिक्षा विभाग ने स्कूल संचालक को नोटिस भेजा है। अधिकारियों ने बताया है कि इस बीच स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों को शिक्षा विभाग के अधिकारियों द्वारा नजदीकी स्कूलों में प्रवेश दिलाया जाएगा ताकि उनकी पढ़ाई प्रभावित न हो।
हालाँकि, एक रिपोर्ट में कहा गया है कि उस स्कूल की मान्यता को रद्द करने की सिफारिश की गई है। द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार बेसिक शिक्षा अधिकारी शुभम शुक्ला ने रविवार को कहा कि नेहा पब्लिक स्कूल विभाग के मानदंडों को पूरा नहीं करता है और यूपी शिक्षा बोर्ड से स्कूल की मान्यता रद्द करने के लिए वरिष्ठ अधिकारियों को नोटिस भेजा गया है। रिपोर्ट के अनुसार एक अधिकारी ने बताया, 'सभी 50 छात्रों को एक सप्ताह के भीतर सरकारी स्कूल या जिले के अन्य स्कूलों में स्थानांतरित कर दिया जाएगा।'
नेहा पब्लिक स्कूल खुब्बापुर गांव का एकमात्र निजी स्कूल है, जहां यह घटना हुई। स्कूल की मालिक तृप्ता त्यागी हैं, जिस पर सांप्रदायिक टिप्पणी करने और बच्चों को अपने सहपाठी को मारने का आदेश देने का आरोप है। ऐसा उन्होंने कथित तौर पर इसलिए किया क्योंकि छात्र ने मल्टीप्लीकेशन टेबल (पहाड़ा) में गलती कर दी थी।
इंटरनेट पर वायरल हुए वीडियो में त्यागी बच्चों को उस लड़के को थप्पड़ मारने का आदेश देते नज़र आईं। इसके साथ ही वह वीडियो में यह भी कहती हुई सुनी गईं, 'मैंने तो डेक्लेयर कर दिया, जितने भी मोहमडन बच्चे हैं, इनके वहां चले जाओ...'। लड़के के बयान और उसके पिता की शिकायत के आधार पर त्यागी के खिलाफ आईपीसी की धारा 323 (चोट पहुंचाना) और 504 (शांति भंग करने के इरादे से जानबूझकर अपमान) के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई।
स्कूल यूपी राज्य बोर्ड के साथ पंजीकृत है और इसको 2019 में संबद्धता प्राप्त हुई। फिलहाल, स्कूल में निर्माण कार्य चल रहा है, और तृप्ता अपने घर पर छात्रों को पढ़ा रही थी, जहाँ यह घटना हुई थी।
विवादों के बीच तृप्ता त्यागी ने इस मामले को मामूली मुद्दा क़रार दिया है। उन्होंने अपना बचाव करते हुए कहा, 'बच्चे के माता-पिता की ओर से उसके साथ सख्ती बरतने का दबाव था। मैं विकलांग हूं, इसलिए मैंने कुछ छात्रों से उसे थप्पड़ मारने को कहा ताकि वह अपना होमवर्क करना शुरू कर दे।' बाल कल्याण समिति द्वारा बच्चे और उसके माता-पिता की काउंसलिंग की गई। इस घटना के बाद पीड़ित बच्चे के पिता ने कहा, 'मेरा बेटा 7 साल का है। यह घटना 24 अगस्त को हुई थी। शिक्षक ने छात्रों से मेरे बच्चे को बार-बार पीटा। मेरे बेटे को एक या दो घंटे तक प्रताड़ित किया गया। वह डरा हुआ है।'
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