कभी एसपी पर धांधली, दबंगई का आरोप लगाने वाली बीजेपी यूपी के जिला पंचायत चुनावों में उससे भी आगे बढ़कर खेल खेलने पर उतर आयी है। यूपी में जिला पंचायत अध्यक्षों के चुनाव में मंगलवार को नामांकन वापसी के दिन बीजेपी ने गजब खेल खेला।
पहले ही 17 जिलों में विरोधियों को नामांकन न करने देकर अपने निर्विरोध अध्यक्ष बना चुकी बीजेपी ने मंगलवार को कई जिलों में विरोधियों का नामांकन वापस करा दिया। सबसे अजब कहानी बाग़पत में रच दी गयी जहां प्रतिपक्ष की प्रत्याशी के सैकड़ों किलोमीटर दूर राजस्थान के भरतपुर में होने के बावजूद उनकी नामांकन वापसी दिखा बीजेपी प्रत्याशी के अध्यक्ष बनने का मैदान साफ कर दिया गया।
बाग़पत में गजब खेल
बाग़पत में नामांकन से ठीक पहले एसपी-आरएलडी की संयुक्त प्रत्याशी को जबरन बीजेपी में शामिल करा दिया गया था। हालांकि इसके महज घंटे भर बाद वो फिर से वापस आ गयीं और आरएलडी प्रत्याशी के तौर पर पर्चा भरा था। आरएलडी प्रत्याशी ममता किशोर के पति ने तब मीडिया के सामने रोते हुए कहा था कि उन्हें जबरन स्थानीय सांसद व मुंबई के पुलिस कमिश्नर रहे सत्यपाल सिंह के घर ले जाकर बीजेपी में शामिल करा दिया गया।
बहरहाल, ममता किशोर के आरएलडी से पर्चा भरने के बाद सुरक्षा के नजरिए से उन्हें राजस्थान के भरतपुर में भेज दिया गया। मंगलवार को जब आरएलडी प्रत्याशी भरतपुर में थीं तभी जिला प्रशासन ने उनके नामांकन वापस लेने की सूचना दे दी।
फर्जी प्रत्याशी खड़ा करने का आरोप
प्रशासन के इस हथकंडे के बाद बाग़पत के एसपी नेता व पूर्व मंत्री कुलदीप उज्ज्वल ने आरोप लगाया कि फर्जी महिला को ममता किशोर बनाकर पर्चा वापस कराया गया। उन्होंने कहा कि हमारी प्रत्याशी ममता किशोर तो भरतपुर राजस्थान में हैं फिर जिला प्रशासन ने किससे नामांकन वापस कराया।
एसपी-आरएलडी का धरना
जिला प्रशासन के इस कदम के विरोध में एसपी नेता ने कार्यकर्ताओं से धरना-प्रदर्शन करने को कहा और बड़ी तादाद में एसपी व आरएलडी के कार्यकर्ता बाग़पत कलेक्ट्रेट पहुंच गए थे। गौरतलब है कि पश्चिम उत्तर प्रदेश के सभी जिलों में एसपी व आरएलडी ने मिलकर पंचायत चुनाव लड़ा था और अब अध्यक्ष पद के लिए संयुक्त प्रत्याशी उतारे गए हैं।
नामांकन वापसी का खेल
मंगलवार को नामांकन वापसी के दिन सबसे पहले शाहजहांपुर से एसपी प्रत्याशी वीनू सिंह खुद ही बीजेपी में शामिल हो गयीं। वीनू सिंह ने अपना नामांकन वापस लेकर बीजेपी प्रत्याशी ममता यादव के निर्विरोध अध्यक्ष बनने का रास्ता साफ कर दिया।
किसी विरोधी प्रत्याशी के न रहने के चलते देवीपाटन मंडल के चारों जिलों बहराइच, बलरामपुर, गोंडा और श्रावस्ती मे बीजेपी के पंचायत अध्यक्ष निर्विरोध चुन लिए गए हैं।
बताया जाता है कि बहराइच मे पूर्व मंत्री व मटेरा से विधायक यासर शाह पर दबाव बनाकर एसपी प्रत्याशी का नामांकन वापस हुआ है।
20 जिलों में निर्विरोध अध्यक्ष
पंचायत चुनावों में सदस्यों के लिहाज से पिट कर तीसरे नंबर पर रहने वाली बीजेपी ने अब तक 20 जिलों में अपने निर्विरोध अध्यक्ष बनवा लेने में सफलता हासिल कर ली है। वाराणसी और गोरखपुर जैसे जिले जहां बीजेपी की हार राष्ट्रीय सुर्खियां बनी थीं वहां भी इसने अपना अध्यक्ष बनवा लिया है।
गोरखपुर में तो नामांकन करने पहुंचे एसपी प्रत्याशी को बीजेपी समर्थकों ने पीट-पीट कर भगा दिया था और वाराणसी में एसपी प्रत्याशी का नामांकन खारिज कर दिया गया।
उत्तर प्रदेश में बिना मतदान के ही सत्तारुढ़ बीजेपी ने झांसी, गाजियाबाद, वाराणसी, गोरखपुर, गोंडा, बलरामपुर, श्रावस्ती, मुरादाबाद, बुलंदशहर, बिजनौर, मऊ, ललितपुर, भदोही, आगरा आदि जिलों में जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी पर कब्जा कर लिया है। इन जिलों में या तो विरोधी प्रत्याशी नामांकन नहीं कर सका या उसका पर्चा ही खारिज कर दिया गया है।
अब मतदान वाले जिलों पर नजर
उत्तर प्रदेश के पंचायत चुनावों में बड़ी तादाद में अपने जिला पंचायत अध्यक्ष निर्विरोध बनवा चुकी बीजेपी की नजर अब उन जिलों पर है जहां हर हाल में मतदान होना है। पार्टी के वरिष्ठ नेताओं का कहना है कि मतदान होने की स्थिति में भी बड़ी तादाद में उनके ही लोग जीतेंगे और इसकी पूरी तैयारी कर ली गयी है।
एक नेता ने तो यहां तक कहा कि रायबरेली, जौनपुर, सोनभद्र जैसे कुछ जिलों को छोड़कर एसपी के मजबूत गढ़ माने जाने वाले आज़मगढ़ व ग़ाज़ीपुर में भी बीजेपी कड़ी टक्कर देकर जीत हासिल कर लेगी। गौरतलब है कि बीजेपी ने जौनपुर और सोनभद्र सीट प्रदेश में अपनी सहयोगी अपना दल के लिए छोड़ दी है। रायबरेली में कांग्रेस व एसपी मिलकर चुनाव लड़ रहे हैं।
अपने लोगों पर बिफरे अखिलेश
पंचायत चुनावों में अच्छी सफलता पाने के बाद भी अध्यक्ष के चुनावों में मिली मात पर एसपी मुखिया अखिलेश यादव ने अपने 11 जिला अध्यक्षों को हटा दिया है। इनमें बलरामपुर, मऊ, गोरखपुर, मुरादाबाद, झांसी, आगरा, गोंडा, नोएडा, श्रावस्ती, आगरा व ललितपुर के जिलाध्यक्ष शामिल हैं।
अखिलेश के मुताबिक़, इन जिला अध्यक्षों की रणनीतिक चूक की वजह से एसपी प्रत्याशी नामांकन नहीं कर सके। आगे की रणनीति तय करने के लिए एसपी मुखिया ने सोमवार को लखनऊ में निर्वाचित पंचायत सदस्यों की बैठक बुलायी थी और सभी से हर हाल में पार्टी प्रत्याशी को जिताने के लिए कहा गया था।
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