उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनावों में हार कर तीसरे नंबर पर पहुंची बीजेपी ने आखिरकार जिला पंचायत अध्यक्षों के पदों पर ज्यादातर जगहों पर जीत हासिल कर ली है। आमतौर पर जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनावों में सत्ताधारी दल का ही बोलबाला रहता है पर बीजेपी ने तो इस मामले में सभी को पीछे छोड़ दिया है। प्रदेश में 75 जिलों में से 67 पर बीजेपी तो दो पर उसके ही सहयोगी दलों का कब्जा हो गया है।
आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक़, बीजेपी को 65, अन्य को 4 तो एसपी को छह सीटें मिली हैं। अन्य दलों से जीते प्रत्याशियों के बारे में बीजेपी ने अपना होने का दावा किया है।
मुलायम सिंह यादव जिस मैनपुरी से सांसद हैं वहां भी बीजेपी का जिला पंचायत अध्यक्ष बन गया है। बीएसपी ने इन चुनावों में हिस्सा नहीं लिया था और पार्टी प्रमुख मायावती ने अपने जिला पंचायत सदस्यों को स्वविवेक से वोट देने को कहा था। कमोबेश सभी जिलों में यह स्वविवेक बीजेपी के पक्ष में ही गया है।
कांग्रेस अध्यक्ष व रायबरेली से सांसद सोनिया गांधी का प्रत्याशी भी हार गया है। यहां भी बीजेपी जीती है।
दावे से भी ज्यादा सीटें जीती बीजेपी
पंचायत चुनावों में हारने और तीसरे नंबर पर पहुंचने के बाद चौतरफा हो रही किरकिरी के बीच बीजेपी के नेताओं ने दावा किया था कि जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनावों में कम से कम 65 जिलों में उनका ही प्रत्याशी जीतेगा। नतीजे इन दावों से भी कहीं बढ़कर आए हैं।
जहां 21 जिलों में बीजेपी पहले ही निर्विरोध कब्जा कर चुकी थी वहीं आज जिन 53 जिलों में मतदान हुआ वहां 46 पर उसके प्रत्याशियों ने जीत दर्ज कर ली। दो जगहों पर बीजेपी ने अपने समर्थित दलों के प्रत्याशी के जीतने का दावा किया है। इनमें जौनपुर और सोनभद्र शामिल हैं। जौनपुर की सीट बीजेपी ने अपना दल को दी थी।
अपना दल प्रत्याशी ने मतदान के दिन बाहुबली धनंजय सिंह की पत्नी श्रीकला रेड्डी को समर्थन देने का एलान कर दिया और बीजेपी ने भी उनका साथ दे दिया।
बीएसपी-निर्दलीय बीजेपी संग गए
उत्तर प्रदेश में जिला पंचायत सदस्य पद पर बड़ी तादाद में निर्दलीयों ने जीत हासिल की थी। तमाम जिलों में एसपी ने निर्दलीयों की मदद से जीत का दावा किया था। बीएसपी ने पंचायत अध्यक्ष के चुनाव से खुद को दूर रखा था। हालांकि जिला पंचायत अध्यक्ष पद के लिए हुए मतदान में बड़ी तादाद में बीएसपी और निर्दलीयों ने बीजेपी का साथ पकड़ लिया और एसपी को करारी हार मिली।
कई जिलों में तो एसपी को क्रास वोटिंग का भी सामना करना पड़ा। अयोध्या, बदांयू जैसे जिलों में एसपी के पंचायत सदस्यों ने बीजेपी को वोट दे दिया। बीएसपी के पंचायत सदस्यों ने तो ज्यादातर जगहों पर बीजेपी को ही वोट दिया। निर्दलीयों ने कुछ जगहों को छोड़ हर जगह सत्ताधारी दल का साथ देना पसंद किया।
औवैसी की पार्टी भी बीजेपी के साथ
हमेशा बीजेपी के निशाने पर रहने वाली असदउद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम के जिला पंचायत सदस्यों तक ने अध्यक्ष के चुनावों में बीजेपी का ही साथ दिया। मुरादाबाद में ओवैसी की पार्टी ने बीजेपी के साथ जाना पहले ही मंजूर कर लिया था। गाजीपुर जिले में भी ओवैसी की पार्टी के दो जिला पंचायत सदस्यों ने बीजेपी प्रत्याशी के पक्ष में ही मतदान किया है।
बीजेपी के खिलाफ आग उगलने वाले सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) के अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर ने जिला पंचात अध्यक्ष के चुनावों में एसपी को समर्थन दिया था। मतदान के दिन राजभर के जिला पंचायत सदस्य भी बीजेपी के पक्ष में खड़े पाए गए।
पश्चिम से पूर्व तक मिली जीत
पश्चिम में मेरठ, बिजनौर, मुरादाबाद, बदांयू से लेकर पूर्व में वाराणसी, बस्ती, देवरिया, गोरखपुर, अवध में लखनऊ, सीतापुर, हरदोई और बुंदेलखंड में झांसी, हमीरपुर, चित्रकूट, बांदा जैसे हर जिले में बीजेपी का ही प्रत्याशी जीता। जहां निर्विरोध निर्वाचन नहीं हो सका, वहां मतों से जीत हासिल कर ली।
हरदोई, सीतापुर जैसे जिलों में तो एसपी को अपने ही लोगों के वोट पूरे नहीं मिल सके। उन्नाव में एसपी को बीजेपी से मिलीभगत सामने आने पर अपना प्रत्याशी तक हटाना पड़ा।
एसपी को मिली छह सीटें
मतदान को लेकर हो हल्ला मचा रही एसपी की सारी रणनीति धवस्त नजर आयी। सरकारी दबाव में चुनाव होने का आरोप लगाने वाली एसपी को कई जगह भीतरघात का सामना करना पड़ा। उन्नाव से लेकर अयोध्या और बस्ती तक एसपी में क्रास वोटिंग नजर आयी।
अखिलेश यादव के संसदीय क्षेत्र आजमगढ़ में ज़रूर एसपी को भारी विजय मिली और कद्दावर नेता व हाल ही में बीएसपी छोड़कर आने वाले अंबिका चौधरी के बेटे ने बलिया सीट जीत ली। एटा, संतकबीरनगर में भी एसपी को जीत मिली है। खासी चर्चा में रहे बागपत जिले में एसपी-आरएलडी प्रत्याशी ममता किशोर ने जीत हासिल की है।
एसपी अपना गढ़ भी नहीं बचा पाई और कन्नौज, फिरोजाबाद, फर्रुखाबाद, मैनपुरी, एटा, बदायूं, संभल, रामपुर, कासगंज से उसका सफाया हो गया।
बाहुबलियों के आगे दिखी लाचार
तमाम सरकारी कोशिशों और एसपी की नाकेबंदी के बाद भी प्रतापगढ़ में राजा भैय्या और जौनपुर में बाहुबली धनंजय को कोई चुनौती नहीं पेश कर पाया। प्रतापगढ़ में तो बीजेपी प्रत्याशी ने दबाव का आरोप लगाकर मतदान से पहले ही धरना दे दिया और खुद अपना वोट नहीं डाल सकीं। यहां राजा भैय्या समर्थित जनसत्ता दल की माधुरी पटेल जीतीं।
वहीं, जौनपुर में बाहुबली धनंजय सिंह की पत्नी श्रीकला रेड्डी के आगे बीजेपी समर्थित अपना दल की प्रत्याशी बेबस दिखीं और मतदान के पहले उनके पक्ष में हट गयीं। एसपी के प्रत्याशी की भी यहां दाल नहीं गली। बीजेपी के पंचायत सदस्यों ने भी श्रीकला के पक्ष में ही मतदान किया।
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