आज़म ख़ान के ट्रस्ट के नाम से मिली ज़मीन को सरकार वापस लेगी। उत्तर प्रदेश सरकार ने रामपुर में आजम खान के मौलाना मोहम्मद अली जौहर ट्रस्ट को दी गई 41,000 वर्ग फुट से अधिक जमीन वापस लेने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। ट्रस्ट को ये ज़मीन स्कूल बनाने के लिए 2007 में दी गई थी। बता दें कि इससे पहले इसी साल फरवरी महीने में सरकार ने ट्रस्ट की 3.24 एकड़ जमीन का एक और पट्टा रद्द कर दिया था।
समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता आज़म ख़ान को हाल में एक के बाद एक लगातार झटके लग रहे हैं। उनके ख़िलाफ़ 80 से ज़्यादा मुक़दमे हैं और कई मामलों में उनको जेल भी हो गई है। हाल ही में एक मामले में आज़म ख़ान के अलावा उनकी पत्नी और उनके बेटे को भी 7-7 साल की जेल की सज़ा सुनाई गई है।
इसी बीच अब उनके ट्रस्ट को मिली ज़मीन को वापस लेने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। ईटी की रिपोर्ट के अनुसार राज्य मंत्री सुरेश खन्ना ने कहा कि यह जमीन ट्रस्ट को केवल 100 प्रति वर्ष के हिसाब से 30 साल के लिए पट्टे पर दी गई थी, जबकि यह ज़मीन वहाँ एक स्कूल बनाने के लिए दी गई थी। उन्होंने आरोप लगाया कि पट्टा की शर्तों का उल्लंघन किया गया था। उन्होंने यह भी कहा कि उस ज़मीन पर एक पार्टी कार्यालय बनाया गया था और इसलिए जमीन सरकार को वापस की जा रही है।
रिपोर्ट में कहा गया कि रामपुर के जिला मजिस्ट्रेट ने उल्लंघनों की पड़ताल के लिए एक जांच समिति का गठन किया था और जांच रिपोर्ट की समीक्षा करने के बाद यह निर्णय लिया गया। मुर्तजा हायर सेकेंडरी स्कूल के भवन सहित 41,181 वर्ग फुट भूमि का अधिग्रहण यूपी सरकार के माध्यमिक शिक्षा विभाग द्वारा किया जाएगा।
इस फ़ैसले के बाद अखिलेश यादव ने आरोप लगाया था कि सियासत के लिए आज़म ख़ान के परिवार को निशाना बनाकर एक पूरे समाज को डराने का खेल खेला जा रहा है।
बता दें कि 2017 में उत्तर प्रदेश में भाजपा के सत्ता में आने के बाद से आज़म खान के खिलाफ रामपुर में भूमि कब्जा, धोखाधड़ी और आपराधिक अतिक्रमण सहित विभिन्न आरोपों में 81 मामले दर्ज किए गए हैं। कुछ मामलों में आजम की पत्नी तंजीन फातिमा और बेटे अब्दुल्ला आजम पर भी केस दर्ज किया गया है। रामपुर की एक अदालत ने 2019 के लोकसभा चुनाव अभियान के दौरान दर्ज नफरती भाषण मामले में आजम खान को दो साल की कैद की सजा सुनाई थी। तब उन्होंने योगी आदित्यनाथ के ख़िलाफ़ विवादास्पद भाषण दिया था।
मुरादाबाद की एक अदालत ने आजम खान और उनके बेटे अब्दुल्ला आजम खान को 15 साल पुराने मामले में दो साल की कैद की सजा सुनाई थी, जिसमें पुलिस द्वारा चेकिंग के लिए उनके वाहन को रोके जाने के बाद उन पर यातायात अवरुद्ध करने का मामला दर्ज किया गया था। अब्दुल्ला को अयोग्य घोषित कर दिया गया और उनकी विधानसभा सदस्यता चली गई। आजम खान को 2019 के लोकसभा चुनावों के दौरान दर्ज नफरत वाले भाषण मामले में रामपुर की एक अदालत ने तीन साल की कैद की सजा सुनाई थी। दोषसिद्धि के कारण उन्हें विधानसभा से अयोग्य घोषित कर दिया गया था। बाद में सत्र न्यायालय ने उन्हें बरी कर दिया था जिसके ख़िलाफ़ सरकार ने हाई कोर्ट में अपील की।
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