करहल विधायक अखिलेश यादव अब कन्नौज से सांसद बन गए हैं। इसी तरह मिल्कीपुर के विधायक अवधेश प्रसाद अब फैजाबाद (अयोध्या) के सांसद बन चुके हैं। दोनों ही विधानसभा सीटें खाली हो गई हैं।
यूपी में भाजपा को लोकसभा चुनाव में जबरदस्त धक्का लगा है और उसकी जमीन सरक गई है। उसकी जगह समाजवादी पार्टी ने जबरदस्त बढ़त बनाई है। सपा का अब कांग्रेस से समझौता है और दोनों दल मिलकर भाजपा पर भारी पड़ रहे हैं। 10 सीटों पर होने वाले उपचुनाव में भी दोनों की एकजुटत फिर दिखेगी। इसलिए लड़ाई फिर से कड़ी होगी। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय रॉय ने शनिवार को साफ कर दिया कि उपचुनाव दोनों दल फिर से मिलकर लड़ेंगे।
दूसरी तरफ करहल में सपा की कोशिश है कि यह सीट भाजपा के पास किसी भी कीमत पर नहीं जाना चाहिए। इसलिए अखिलेश अपने किसी रिश्तेदार को यहां से उतार सकते हैं। कहा जा रहा है कि अखिलेश अपने भतीजे तेज प्रताप यादव को यहां से उतार सकते हैं। क्योंकि तेज प्रताप को शुरू में कन्नौज लोकसभा सीट से सपा का उम्मीदवार घोषित किया गया था, लेकिन बाद में अखिलेश वहां से लड़ने चले गए। इसलिए तेज प्रताप करहल से प्रत्याशी हो सकते हैं।
इसी तरह कटहरी विधानसभा सीट पर भी उपचुनाव होगा। सपा विधायक लालजी वर्मा अब अंबेडकरनगर लोकसभा सीट से भाजपा उम्मीदवार रितेश पांडे को हराकर जीत हासिल कर चुके हैं।इस सीट पर बीजेपी की एनडीए सहयोगी निषाद पार्टी को दे सकती है, क्योंकि उसके उम्मीदवार अवधेश कुमार वहां 2022 में करीबी मुकाबले में वर्मा से हार गए थे। इसी तरह मझवां सीट पर भी भाजपा की नजर है।
मुरादाबाद जिले में कुंदरकी सीट पर भी उपचुनाव तय है। क्योंकि यहां के सपा विधायक जिया-उर-रहमान अब संभल लोकसभा सीट से सांसद चुने गए हैं। लेकिन भाजपा के लिए, खैर विधानसभा सीट कम महत्वपूर्ण नहीं है। क्योंकि मौजूदा विधायक और राज्य के राजस्व मंत्री अनूप प्रधान वाल्मिकी अब हाथरस (एससी-आरक्षित) लोकसभा सीट से चुने गए हैं। इसी तरह फूलपुर विधानसभा सीट से प्रवीण पटेल हैं, जो अब भाजपा सांसद चुने गए हैं। इसी तरह अतुल गर्ग भी गाजियाबाद विधानसभा सीट से अब लोकसभा के लिए चुने गए हैं। फूलपुर और गाजियाबाद दोनों ही सीटों पर उपचुनाव होगा।
इसी तरह मीरापुर विधानसभा सीट पर जयंत चौधरी की पार्टी आरएलडी जरूर लड़ना चाहेगी। दरअसल, यहां के आरएलडी विधायक चंदन चौहान अब बिजनौर से सांसद बन गए हैं। लेकिन स्थितियां भी बदली हुई हैं। 2022 में मीरापुर सीट सपा और आरएलडी ने संयुक्त रूप से लड़ी थी, तब जीत हासिल हुई थी। लेकिन अब आरएलडी और भाजपा का समझौता है। सपा इस सीट पर लड़ेगी जरूर लेकिन सामने प्रत्याशी आरएलडी से आएगा या भाजपा से, यह उपचुनाव की घोषणा के बाद तय होगा।
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