बीजेपी की जाट राजनीति में जब भी कोई नाम आता था, वो संगीत सोम का होता था। लेकिन सोम इस बार सरधना से हार गए। हालांकि लक्ष्मी नारायण चौधरी भी बीजेपी के जाट नेता हैं लेकिन वो हमेशा लो प्रोफाइल पर काम करते रहे। हालांकि योगी की पिछली कैबिनेट में वो पशुपालन मंत्री थे। लेकिन पिछले चुनाव में जिस तरह बीजेपी की गाड़ी पश्चिमी यूपी की जाट बेल्ट में हिचकोले खाती रही, उसकी वजह से चौधरी चमक कर एकदम सामने आ गए हैं। उन्हें बेबीरानी मौर्य के बाद पांचवें नंबर पर शपथ दिलवाई गई।
इस बार मंत्री लक्ष्मी नारायण चौधरी का कद क्यों बढ़ा
- उत्तर प्रदेश
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- 29 Mar, 2025
छाता (मथुरा) से बीजेपी टिकट पर दूसरी बार जीते लक्ष्मी नारायण चौधरी को जाटे कोटे से आने की वजह से बीजेपी काफी महत्व दे रही है। हालांकि चौधरी लगभग सभी दलों का मजा चखकर आए हैं लेकिन बीजेपी ने उनको दूसरी बार मौका दिया है।

मथुरा के रहने वाले लक्ष्मी नारायण चौधरी ने इस चुनाव में सीधे रालोद को चुनौती दी। उन्होंने चुनाव प्रचार के दौरान अखिलेश और जयंत की जोड़ी के लिए कहा था कि बैल और भैंस को एकसाथ खेत में नही ंजोता जा सकता। उनके इस बयान पर सपा और रालोद के नेता बहुत नाराज हुए थे। यह अलग बात है कि चौधरी ने अपनी राजनीति की शुरुआत उस लोकदल से की, जिसकी स्थापना चौधरी चरण सिंह ने की थी। लेकिन चौधरी ने कोई ऐसा प्रमुख दल नहीं बचा, जिसके रथ में वो न सवार हुए हों। लोकदल से वो कांग्रेस में आए, वहां से बीएसपी में गए और फिर वहां से बीजेपी में पहुंचे।