अयोध्या में 3 मसजिदों के बाहर आपत्तिजनक पोस्टर और धार्मिक ग्रंथों के फटे पन्ने फेंकने के आरोप में पुलिस ने 7 लोगों को गिरफ्तार किया है। यह सभी लोग अयोध्या जिले के ही रहने वाले हैं। पुलिस ने कहा है कि इनकी कोशिश इलाके में दंगा कराने की थी।
गिरफ्तार किए गए अभियुक्तों के नाम महेश कुमार मिश्रा, प्रत्यूष श्रीवास्तव, नितिन कुमार, दीपक कुमार गौड़ उर्फ गुंजन, बृजेश पांडे, शत्रुघ्न प्रजापति और विमल पांडे हैं। पुलिस चार अन्य अभियुक्तों की तलाश कर रही है।
इन सभी के खिलाफ आईपीसी की धारा 295 के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है। पुलिस के मुताबिक़, इन लोगों ने पूरी योजना के बाद ही घटना को अंजाम दिया गया। इन सभी पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून यानी एनएसए के तहत कार्रवाई की जाएगी।
पुलिस ने कहा कि महेश कुमार मिश्रा इस मामले का मास्टरमाइंड है और वह अपने साथियों के साथ मिलकर दिल्ली में हाल में हुई घटना के विरोध में इस काम को अंजाम देना चाहता था। दिल्ली में जहांगीरपुरी में हनुमान जयंती के मौके पर निकले जुलूस के दौरान हिंसा हुई थी।
पुलिस ने कहा है कि इन्होंने 26-27 अप्रैल की दरमियानी रात को अयोध्या में कश्मीरी मोहल्ले की टाटशाह मसजिद, घोसियाना रामनगर मसजिद, ईदगाह सिविल लाइन एवं गुलाब शाह दरगाह जेल के पीछे आपत्तिजनक पोस्टर और धार्मिक पुस्तक की कॉपी डालकर दंगा कराने की कोशिश की थी।
पुलिस ने इनके पास से वाहन, टोपी, मोबाइल आदि चीजें बरामद की हैं।
निश्चित रूप से पुलिस ने इन लोगों की धरपकड़ कर माहौल को खराब होने से बचा लिया है। ट्विटर पर कई लोगों ने कहा है कि पुलिस को इन लोगों के खिलाफ बुलडोजर का इस्तेमाल करना चाहिए। उत्तर प्रदेश पुलिस इन दिनों बुलडोजर को लेकर काफी चर्चा में है।
कुछ अहम सवाल
हालांकि पुलिस ने इन अभियुक्तों को गिरफ्तार तो कर लिया है लेकिन बड़ा सवाल यह है कि इन लोगों को निर्देश कौन दे रहा था। किसके निर्देश पर इन्होंने माहौल खराब करने की साजिश रची थी, कौन इन्हें संरक्षण दे रहा है। ऐसे ही सवालों का जवाब मिलना बेहद जरूरी है क्योंकि बीते दिनों में रामनवमी के जुलूस के मौके पर मस्जिदों के बाहर से निकाली गई रैली को लेकर सांप्रदायिक हिंसा की घटनाएं हो चुकी हैं और इसे लेकर देश का सियासी माहौल बेहद गर्म है।
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